प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस किए जाने की घोषणा पर किसानों में चैतरफा खुशी का माहौल है। पिछले एक साल से कृषि कानून वापस किए जाने को लेकर दिल्ली बार्डर पर आंदोलन हो रहा है। इस आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान भी जा चुकी है। सैकड़ों किसानों पर मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि ये कानून किसानों के हित में बनाए गए थे लेकिन हम समझाने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि अब देश हित में तीनों कानूनों को वापस लिया जाएगा। उन्होंने कहा, अपने पांच दशक के जीवन में किसानों की चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है, जब देश हमें 2014 में प्रधानसेवक के रूप में सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि ये भी बहुत सुखद है, कि डेढ़ साल के अंतराल के बाद करतारपुर साबिह कॉरिडोर अब फिर से खुल गया है।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल नवंबर से ही आंदोलन कर रहे थे। करीब सालभर से चल रहे आंदोलन के आगे सरकार को झुकना पड़ा और तीनों कानूनों को निरस्त करना पड़ा।
किसान लगातार धैर्य के साथ आंदोलन जारी रखे हुए थे और अग्रिम रणनीति बनाकर कार्य कर रहे थे। शुक्रवार को गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानून वापस किए जाने की बात पर किसानों में उल्लास दौड़ गया। किसान इसे गुरु पर्व की कृपा बता रहे हैं और बेहद खुश नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि लंबे समय से चल रही लड़ाई में आखिरकार उनकी धैर्य रखने से जीत हुई। सरकार ने यह कार्य किया है यह बेहद सराहनीय है। किसान सरकार का धन्यवाद देते हैं।
जीरो बजट खेती के लिए काम करेगी सरकार- पीएम मोदी
कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के साथ ही पीएम मोदी ने देश को संबोधित कर कहा, ‘आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है. जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा. इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे.’