हमारे देश में प्याज एवं लहसुन हमारे दैनिक आहार का हिस्सा है ओर इसका उपयोग सब्जी एवं मसाले के रूप में किया जाता है। इस समय प्याज और लहसुन की कटाई लगभग पूर्ण हो चुकी है और किसान लहसुन को भंडारित करके रख रहे हैं। प्याज और लहसुन ख़राब न हो जाये इसीलिए इन विशेष बातों का ध्यान रखें।
फसल तैयार होने के बाद कंदों को पौध सहित खोद कर उखाड़ लेना चाहिए फिर उसका बण्डल बनाकर 3 से 4 दिन तक धुप में सुखाया जाना चाहिए। पत्तियां सहित कंदों को इस प्रकार रखी जानी चाहिए जिससे अगली कतार के कंद पीछे वाली कतार कि पत्तियों से धक जाएं।
पत्तियां सूखने के बाद प्याज और लहसुन कि पत्तियों को इस प्रकार काटा जाता है ताकि 2.5 से 3 से.मी. लम्बी डंडी बची रहे | इन कंदों को छाया में लगभग दो सप्ताह सुखाना चाहिए | एसा करने से कंदों कि गर्दन के कटे हिस्से सुखाकर बंद हो जाते हैं ओर रोग कारकों द्वारा संक्रमण कि सम्भावना कम हो जाती है।
लहसुन को छाया में सुखाने के बाद यदि आवश्यकता हो तो उसकी पत्तियां काटी जा सकती अहि अन्यथा पर्याप्त भण्डारण व्यवस्था उपलब्ध हो तो लहसुन को पत्तियों सहित भण्डारण करना चाहिए। पत्तियां काटनी हो तो कम से कम 2 से 2.5 से.मी. कम्बी डंडी रखनी चाहिए।
मानसून में वातावरण नमी बढ़ जाती है और वो कंद को ख़राब करती है अतः भण्डारित किये गए प्याज लहसुन को समय समय पर देखते भी रहे। यदि कही कंदो से सड़न या बदबू आती है तो उस जगह से ख़राब कंदो को अलग कर लें अन्यथा वह अन्य उपज को भी ख़राब कर देता है।
प्याज और लहसुन को कंदो के आकार के अनुसार संग्रहित कर भण्डारित करना चाहिए। छोटे, मध्यम व बड़े कंदों में अलग कर भण्डारित करना अच्छा होता है | एक समान माध्यम आकार के कन्दों के बीच समुचित खाली जगह होने कि वजह से वायु का संरचना अच्छा होता है ओर भण्डारण के दौरान नुकसान अपेक्षाकृत कम होता है | छोटे आकार के कंदों में सडन से नुकसान ज्यादा होता है जबकि बड़े आकार के कंदों में सडन तथा अंकुरण कि समस्या ज्यादा होती है।
अच्छे भण्डारण के लिए भण्डार गृहों (वेयरहाउस) का तापमान 25-30 डिग्री सेन्टीग्रेड तथा आर्द्रता 65-70 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए।