गाय एक ऐसा पशु है जिसे हमारे देश में न सिर्फ पाला जाता है बल्कि इसकी पूजा भी की जाती है, अक्सर किसान भाई पशुपालन के लिए सही गाय का चुनाव नहीं कर पाते है लेकिन आज हम आपको बताएंगे की गाय की कौन सी नस्ल ज्यादा दुधारू होती है और ये कितनी खुराक लेती है। निम्नलिखित नस्लों की जानकारी के माध्यम से आप जान सकते है की कौन गाय का पालन किया जाये।
मालवी : इस नस्ल की गाय दुधारू नहीं होतीं। इन गायो का रंग खाकी होता है तथा गर्दन कुछ काली होती है। ये मध्य प्रदेश में ग्वालियर के आस-पास पाई जाती हैं।
नागौरी : इस नस्ल की गाय भी विशेष दुधारू नहीं होतीं, किंतु ब्याने के बाद बहुत दिनों तक थोड़ा-थोड़ा दूध देती रहती हैं।
थरपारकर : इस नस्ल की गायें दुधारू होती हैं। इनका रंग खाकी, भूरा, या सफेद होता है। इनकी खुराक कम होती है।
भगनाड़ी : नाड़ी नदी का तटवर्ती प्रदेश इनका स्थान है, ज्वार इस नस्ल का पसंदीदा भोजन है। नाड़ी घास और उसकी रोटी बनाकर भी इनको खिलाई जाती है। ये गायें दूध खूब देती हैं।
हरियाना : इस नस्ल की गाय 8 से 12 लीटर तक दूध प्रतिदिन देती हैं। गायों का रंग सफेद, मोतिया या हल्का भूरा होता हैं। ये गाये रोहतक, हिसार, सिरसा, करनाल, गुडगाँव और जिंद में पाई जाती है।
अन्य राठ अलवर की गाये हैं। खाती कम और दूध खूब देती हैं।
गीर- ये गाय प्रतिदिन 50 से 80 लीटर तक दूध देती हैं। इनका मूलस्थान काठियावाड़ का गीर जंगल है।
देवनी - दक्षिण आंध्र प्रदेश और हिंसोल में पाई जाती हैं। ये दूध खूब देती है।