आय के अन्य श्रोतों के रूप में पशुपालन अपना अलग ही स्थान रखते है, पशुपालन के माध्यम से आप डेयरी या फार्म खोलकर काफी अच्छा पैसा कमा सकते है। लेकिन सबसे पहले इसकी सही जानकारी होना जरुरी है, अगर अच्छी नस्ल के पशु का पालन किया जाये तो वो एक अच्छी आय का स्त्रोत साबित हो सकते है।
देखा जाये तो देश में भैस की कई प्रकार की प्रजातियां है लेकिन अगर बात करे तो अच्छी नस्ल में 4 से 5 नस्ल अधिक लोकप्रिय है। आपको बता दे इन नस्लों की भैसों में बाकि के मुकाबले अधिक दूध देने की क्षमता होती है। ग्रामीण किसानो के लिए ये किसी महंगी धातु से कम नहीं है। आइये जानते है उन नस्लों के बारे में जो आपको अच्छा मुनाफा दे सकती है-
इन नस्लों की है अधिक मांगः
1. नीली- रावीः इस नस्ल की भैंस भारत के पंजाब प्रांत के अलावा पाकिस्तान के साहीवाल जिलें में भी ये देखने को मिल जाती है, अगर पहचान की बात करे तो इसका सिर लम्बा और ऊपर से निकला हुआ होता है। इसके सींग छोटे एवं थोड़े मुड़े हुए तथा गर्दन की लंबाई अधिक होने के साथ पतली होती है। इनकी दूध देने की क्षमता 1500 से 2000 किलोग्राम तक होती है। अच्छे रखरखाव और खुराक उच्च गुणवत्ता की मिले तो ये 3000 से 3500 किलोग्राम तक दूध दे सकते हैं।
2. मुर्राः इस नस्ल की भेसो का मूल स्थान हरियाणा एवं पंजाब के पश्चिमी इलाको में होता है। आकार के हिसाब से विशाल एवं रंग में अधिक गाढ़े काले रंग के होते हैं। यह लगभग तीसरे साल में प्रथम बच्चा देती है, इसकी दूध देने की क्षमता लगभग 2000 लीटर तक की होती है।
3. मेहसानाः गुजरात प्रान्त के सबरकांठा या मेहसाना में भैंस की इन नस्लों को देखा जा सकता है।आकार मध्यम होता है और नथुना खुले हुए होते हैं। रंग में ये काली होती है।
4. भदावरीः मध्य प्रदेश के ग्वालियर और इटावा क्षैत्र में पाया जाता है। शरीर की बात करे तो हल्के शरीर की होती है और टांगें छोटी होती है। ये 1000 किलोग्राम तक दुग्ध दे सकती है।
5. गोदावरीः यह भैंस मुख्य तौर पर आंध्रप्रदेश के गोदावरी में पाई जाती है। और यही कारण है कि इस नस्ल को गोदावरी के नाम से भी जाना जाता है। इसका शरीर मध्यम आकार का होता है। दूध देने की क्षमता इनमे 2000 किलोग्राम तक होती है।