कैसे करे बुवाई?
गेहूं की फसल की बुवाई समय पर और पर्याप्त नमी पर करना चाहिए। अगर आप ऐसी किस्म की खेती कर रहे है जो देर से पकने वाली प्रजातियों की गिनती में आती है तो उनकी बुवाई समय से अवश्य कर देना चाहिए नहीं तो उसकी उपज में कमी हो जाती है। अगर बुवाई में विलम्ब होता जाता है, तो गेहूं की पैदावार में गिरावट की दर बढ़ती चली जाती है। माह दिसंबर में बुवाई करने पर गेहूं की पैदावार 3 से 4 कु0/ हे0 एवं इसके अलावा जनवरी में बुवाई करने पर 4 से 5 कु0/ हे0 प्रति सप्ताह की दर से घटती है।
बीज दर एवं बीज शोधन
सबसे पहली बात लाइन में बुवाई करने पर सामान्य दशा में 100 किग्रा० तथा मोटा दाना 125 किग्रा० प्रति है, तो छिड़काव बुवाई की दशा में सामान्य दाना 125 किग्रा० मोटा-दाना 150 किग्रा० प्रति हे0 की दर से प्रयोग करना चाहिए। फसल की बुवाई से पहले उसका जमाव प्रतिशत एक बार अवश्य देख ले। इसके अलावा राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा निःशुल्क में उपलबध है।
ध्यान रखने योग्य बाते-
अगर बीज अंकुरण क्षमता कम हो तो उसी के अनुसार बीज दर बढ़ा ले लेकिन बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन भी अवश्य करें। इसके लिए बीजों का कार्बाक्सिन, एजेटौवैक्टर व पी.एस.वी. से उपचारित कर फिर उसकी बोआई करें।
पंक्तियों की दूरी
1. इसके लिए सामान्य दशा में 18 सेमी० से 20 सेमी० एवं गहराई 5 सेमी०
2. इसके बाद विलम्ब से बुवाई की दशा में 15 सेमी० से 18 सेमी० तथा गहराई 4 सेमी०
विधि
सबसे पहले बुवाई हल के पीछे कूंड़ों में या फर्टीसीडड्रिल द्वारा भूमि की उचित नमी पर करें, इसकी खेती में पलेवा करके ही बोना श्रेयकर होता है। इस बात का ध्यान रहे कि कल्ले निकलने के बाद प्रति वर्गमीटर 400 से 500 बालीयुक्त पौधे अवश्य हों अन्यथा इसका उपज पर कुप्रभाव पड़ेगा। विलम्ब से बचने के लिए पंतनगर जीरोट्रिल बीज व खाद ड्रिल से बुवाई करें। ट्रैक्टर चालित रोटो टिल ड्रिल द्वारा बुवाई अधिक लाभदायक है।