वर्तमान में मानवजनित और भौगोलिक कारणों से जलवायु अनिश्चितता की स्थिति बन गई है। यह अनिश्चितता आने वाले कई वर्षों तक देखने को मिल सकती है। गर्मियां बढ़ती जा रही हैं और सर्दियों का मौसम सिकुड़ता जा रहा है। अलनीनो संकट बना ही रहता है। बरसात समय से पहले दस्तक दे रही है और मानसून के समय सूखे की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है। दुनिया भर में बढते औद्योगिकीकरण एवं वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में इज़ाफा हो रहा है।
इनके उत्सर्जन से वैश्विक तापमान में वृद्धि एवं जलवायु परिवर्तन जैसी घटनाओं ने समस्त विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।
जैविक खेती खेतों में रासायनिक खादों व कीटनाशकों के इस्तेमाल से जहां एक ओर मृदा की उत्पादकता घट रही है वहीं दूसरी ओर अंश भोजन श्रृंखला के माध्यम से मानव के शरीर में पहुंच रहे हैं। इससे अनेक प्रकार के रोग पैदा होते हैं।
गैसों के उत्सर्जन में काफी वृद्धि भी हो रही है। इस कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।
ऐसे में इस संकट से निपटने के लिए जैविक खेती का मॉडल दुनिया के अलग - अलग हिस्सों में अपनाया जा रहा है। यह पर्यावरण अनुकूल होने के साथ ही वैश्विक तपन को कम करने में भी अहम् भूमिका निभा रहा है।
जैविक खेती
जैविक खेती के 7 बड़े फायदे -
1. रासायनिक खाद पर निर्भरता में कमी।
2. खेती की लागत में कमी।
3. फसलों की उत्पादकता में वृद्धि।
4. भूमि की गुणवत्ता में सुधार।
5. भूमि की जलधारण क्षमता में बढ़ोतरी।
6. भूमि से पानी के वाष्पीकरण में कमी।
7. रासायनिक खेती की तुलना में अधिक उत्पादन।
वर्षा आधारित क्षेत्रों में जैविक खेती की विधि और अधिक लाभदायक है। इस विधि द्वारा खेती करने से उत्पादन की लागत में कमी के साथ ही किसानों को आय अधिक प्राप्त होती है।