कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा किसानों को शून्य बजट खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया गया

कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा किसानों को शून्य बजट खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया गया
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Kisaan Helpline

Agriculture Aug 02, 2022

Agriculture News: सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन (आत्मा) योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में प्राकृतिक खेती के विषय में सोमवार को कृषि विज्ञान केंद्र में किसान प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. जी. एस. चुण्डावत द्वारा किसानों को शून्य बजट खेती (प्राकृतिक खेती) के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में प्राकृतिक खेती के बारे में और उसके महत्व के बारे में विस्तार से समझाया। कृषि वैज्ञानिक का कहना है की वर्तमान समय में किसानों के खेत की मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा बहुत कम है, किसानों को अपने खेत में जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ाना चाहिए। जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय को प्रशिक्षण के दौरान साझा किया, किसान भाइयों को अपने खेत में गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और हरी खाद का अधिक उपयोग करने की सलाह दी।


कृषि वैज्ञानिक ने बताया की खेत में जैविक कार्बन की मात्रा को बढ़ाने के लिए सबसे सस्ता खाद हरी खाद है जिसको किसान भाई अपने खेत में ही बड़ी आसानी से तैयार कर सकता है। उदहारण के तौर पर बताया की किसान अपने खेत में 3 वर्ष में 6 फसल लेता है उसी में किसान को 1 फसल हरी खाद की लेना चाहिए। यह फसल बरसात शुरू होती है उस समय हरी खाद वाली फसल को लगा सकता है। हरी खाद की फसलें ढेंचा, मुंग, उड़द, और चवले आदि को मिश्रित करके उगा सकता है और इसे दो महीने के लिए लगाना चाहिए।



प्रशिक्षण में किसानों को मिश्रित फसलें लगाने की सलाह दी, साथ ही इसके महत्त्व के बारे में बताया। कृषि वैज्ञानिक ने बताया की किसान भाईयों को अपने खेत की मिट्टी का परिक्षण करवाना चाहिए, मिट्टी जाँच रिपोर्ट के आधार पर पता चल सके की अपने खेत की मिट्टी में किस प्रकार के तत्व की कमी है और उसे पूरा किया जा सकें।
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक ने शून्य बजट खेती के प्रशिक्षण में उपस्थित किसान भाईयों को बीजामृत, जीवामृत, पंचगव्य, सींगखाद (बी.डी.-500), नीमास्त्र, और पोषक तत्वों के महत्व बारे में विस्तार से बताया और साथ ही इनको घर पर ही कैसे बनाया जाये वो भी  बिना किसी लागत के उसकी सम्पूर्ण जानकारी इस प्रशिक्षण के दौरान किसानों को दी। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य जीरो बजट खेती (प्राकृतिक खेती) के माध्यम से किसान अपनी खेती में लगने वाली लागत को कम कर सके और अधिक मुनाफा कमा सकें।

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