क्षेत्र के कृषि विभाग की ओर से रविवार को विकास भवन सभागार में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। आपको बता दे की इसमें निजी उर्वरक विक्रेताओं को वर्षा आधारित खेती को जल संरक्षण के तरीके बताए गए। खेतों की मेड़बंदी व जल संरक्षण के महत्व से अवगत कराया। साथ ही किसानों को इसके बाबत जागरूक करने पर बल दिया गया। इस प्रकार की जानकारी से किसानो को अनेको फायदे होंगे, जिस से किसान अपनी उपज को और बढ़ावा दे सकते है।
कृषि विभाग के एक कृषि वैज्ञानिक डा. समीर पांडेय ने बताया कि दिनोंदिन वर्षा में कमी आ रही है। बरसात के मौसम में भी औसत से कम बारिश हो रही है। जल संरक्षण न होने से भूगर्भ जल स्तर में भी साल दर साल गिरावट आ रही है और गर्मी के दिनों में पंपिग सेट नाकाफी साबित हो रहे हैं। इसके चलते किसानों को खरीफ सीजन में खेतों की सिचाई को पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है। इससे निजात पाने को जल संरक्षण करना होगा। किसान खेतों की मेड़बंदी कराएं। साथ ही तालाबों की खोदाई भी कराई जाए। इससे वर्षा जल का संचय होगा। तालाबों में मछली पालन कर किसान अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं। कहा मेड़बंदी व वाटर शेड बनाने को सरकार अनुदान भी दे रही है। किसानों को इसका लाभ लेना चाहिए। उर्वरक विक्रेता किसानों को इसके बाबत जागरूक करें।