प्रायः किसानों द्वारा फसल की कटाई उपरांत बचे हुए अवशेषों को जला दिया जाता है , जिससे जमीन की ऊपरी परत जल जाती है। इससे मिट्टी के जरूरी पोषक तत्व एवं सुक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं। फसल अवशेषों को जलाने पर मृदा से 80 प्रतिशत नाइट्रोजन एवं सल्फर, 25 प्रतिशत फॉस्फोरस और 21 प्रतिशत पोटाश नष्ट हो जाते हैं।
मिट्टी की उपजाऊ क्षमता कम होने का यह प्रमुख कारण है, जो कि पौधों की वृद्धि को प्रभावित करता है। इसके फलस्वरूप उत्पादन एवं उत्पादकता में कमी आती है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए फसल अवशेषों को बिना जलाये कृषि कार्यों के लिए कई यंत्र विकसित किए गए हैं। इसमें जीरो टिल डिल हैप्पी सीडर स्टॉ बेलर. स्ट्रॉ कंबाइन आदि प्रमुख हैं।
फसल अवशेषों को जलाने से बचाने के लिए इन यंत्रों का उपयोग एक व्यवहारिक विकल्प है। इसके द्वारा मृदा , पानी एवं फसल अवशेषों का प्रबंधन करके पैदावार में वृद्धि तथा गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। धान की फसल काटने के बाद नमी की अधिकता के कारण जुताई नहीं की जा सकती है, परंतु समय पर बुआई करना बाध्यता रहती है। जीरो टिल डिल से धान के खेत में बिना जुताई के गेहूं की बुआई की जा सकती है।
परंपरागत तरीके से जुताई एवं बुआई की तुलना में इस मशीन द्वारा प्रति हैक्टर 22 - 25 लीटर डीजल , 10 - 15 प्रतिशत पानी एवं 40 - 70 प्रतिशत समय की बचत तथा उत्पादन लागत में 2000 रुपए प्रति हैक्टर की कमी आती है। इसे एक साधारण सीड ड्रिल की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। कंबाइन हार्वेस्टर द्वारा धान की कटाई के पश्चात खेत में फसल अवशेषों की मात्रा अधिक होती है। इस स्थिति में भी खेत की जुताई किए बिना हैप्पी सीडर द्वारा बड़ी आसानी से बुआई की जा सकती है।
परंपरागत बुआई की तुलना में हैप्पी सीडर द्वारा बुआई करने पर परिचालन लागत में 50 - 60 प्रतिशत तक की कमी आती है। इस यंत्र की कार्य दक्षता 0.30 से 0.35 हैक्टर प्रति घंटा है। इस यंत्र को चलाने में 12 से 20 लीटर प्रति हैक्टर ईंधन की खपत होती है। स्ट्रॉ कम्बाइन का प्रयोग अनाज कम्बाइन के परिचालन उपरांत गेहं एवं धान फसल की बची हुई खूटी एवं पुआल को एकत्रित करने के लिए किया जाता है। इस मशीन से लगभग 50 कि.ग्रा . / हैक्टर अनाज के दानो को प्राप्त किया जा सकता है।