कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए विशेष बिन्दु, जानिए इनके बारे में

कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए विशेष बिन्दु, जानिए इनके बारे में
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Kisaan Helpline

Agriculture Feb 22, 2020

कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए विशेष बिन्दु, जिन्हें मुख्यतः किसानों को ध्यान रखना चाहियें और उचित खेती करना चाहियें

  • मृदा पोषण एवं संतुलित उर्वरकों का उपयोग: मृदा परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरकों एवं सूक्ष्म तत्वों का उपयोग करें। मृदा स्वास्थ को बनाये रखने के लिए यथा संभव फसलों में कम्पोस्ट, हरी खाद/एफ वाई एम/वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग आवश्यक रूप से क्रिया जावे।
  • क्षेत्र विशेष हेतु अनुशंसित उन्नत संकर एवं संकुल प्रजातियों का उपयोग करें।
  • फसलों की अनुशंसित बीज दर का उपयोग करते हुए उपयुक्त अंतराल पर कतारों में समय पर बोनी करें।
  • बीजोपचार: जैविक/रसायनिक औषधियों से बीजोपचार सीड ट्रीटिंग ड्रम से करें।
  • सिंचाई जल उत्पादकता बढाना: सिंचाई जल का आवश्यकतानुसार फसलों की क्रांतिक अवस्थाओं में उपलब्ध सिंचाई संसाधनों का उपयोग सिंचाई यंत्रो के माध्यम से जैसे सिंचाई ड्रिप, स्प्रिंकलर, रेनगन , मिनी स्प्रिंकलर आदि से करें।
  • खरीफ मौसम में काली मिट्टी में बोई जाने वालो दलहनी एवं तिलहनी फसलों में रेज्ड/ब्रॉड ब्रेड पद्धति को अपनाया जावे।
  • समन्वित खरपतवार, कीट एवं व्याधि प्रबंधन: फसल उत्पादकता को बढाने के लिए अनुशंसित रसायनों एवं जैविक औषधियों का सही मात्रा, समय एवं विधि से करें। 
  • गन्ना, मक्का, अरहर का क्षेत्र विस्तार की संभावनाएं प्रदेश में अधिक है। इन फसलों को बढावा दिया जावे। 

संरक्षित खेती
  • फसल अवशेषों (नरवाई) को बिना जलाए उपयुक्त यंत्र की सहायता से फसलों की बुवाई करें।
  • असिंचित क्षेत्रो में अंतरवर्तीय फसलों को बढावा दिया जावे एवं द्वि-फसली क्षेत्र को बढावा देने के लिए खरीफ मौसम की जल्दी पकने वाली फसलों की किस्सों को प्राथमिकता दें।
  • कोदों, कुटकी, रागी एवं कपास की परंपरागत फसलों को जैविक खेती के रूप में लेकर प्रमाणीकरण की प्रक्रिया अनिवार्य किया जावे।
  • निमाड़ क्षेत्र में अरहर एवं संकर ज्वार बीजोत्पादन को बढावा।
  • फसल चक्र में दलहनी फसलों का समावेश करते हुए बदलाव अवश्य करें।
  • जलवायु परिवर्तन कं प्रभाव से बचने के लिए फसलों की उपयुक्त जातियां एवं तकनीक का उपयोग करें।
  • बाजार की मांग को देखते हुए व्यावसायिक फसलों को प्राथमिकता दिया जावे।
  • स्वउत्पादित बीजों की गुणवत्ता में सुधार: बुवाई पूर्व ग्रेडिंग, अंकुरण क्षमता ज्ञात कर बीजोपचार उपरांत योनी करें।
  • फसलों में पीएसबी, राइजोबियम कल्चर एवं एजेक्टोबेक्टर 100 किलो ग्राम गोबर की खाद में मिलाकर बुवाई के समय उपयोग की जावे।
  • उत्पादन लागत में कमी करने के लिए जुताई, बुवाई, गहाई हेतु अधिकतम उन्नत कृषि यंत्रो का उपयोग करें।

News Credit - कृषक भारती (राष्ट्रीय कृषि पत्रिका)

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