कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के जरिए रोजगार देना, आलू की फसल से महिलाओं ने पेश की मिसाल

कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के जरिए रोजगार देना, आलू की फसल से महिलाओं ने पेश की मिसाल
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Kisaan Helpline

Agriculture Jan 07, 2019

 

मोतिहारी। चंपारण में महिलाएँ जनसंख्या नियोजन की दिशा में प्रभावी रूप से काम कर रही हैं। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए रोजगार पैदा करना। इससे दर्जनों लोगों को रोजगार मिला है। जीवन में खुशहाली आई है। लोग उन्हें 'किसान दीदी' कहते हैं। पूर्वी चंपारण जिले के हरसिद्धि ब्लॉक के सोनबरसा, पानापुर रंजीता, पकडिय़ा, कोटवा और नक्सल प्रभावित मधुबन ब्लॉक की कई पंचायतों में, बिजिका दीदी ने 39 एकड़ में आलू की खेती की है।

 

13 एकड़ में बीज और 26 एकड़ में आलू के चिप्स वाले आलू है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 16 दिसंबर को चंपारण की यात्रा के दौरान सोनबरसा में उनके काम को देखकर प्रभावित हुए थे। उन्होंने अनुबंध आधारित खेती के इस मॉडल को राज्य में प्रचारित करने के लिए कहा।

 

नए प्रयोग की सफलता पर जोर

एक कंपनी अनुबंध खेती के लिए स्थापित की गई है। इससे जिले की 1650 महिलाएं और 112 समूह जुड़ गए हैं। इस खेती से लगभग 200 लोगों को रोजगार मिला। हरसिद्धि ब्लॉक के सोनबरसा के किसान ओमप्रकाश सिंह कुशवाहा, सुनील कुमार, योगेंद्र महतो, वीरेंद्र महतो, प्रमोद प्रसाद, विनोद महतो, झल्लू सहनी और बिजली सहनी बताते है की परंपरागत तरीकों से आलू की खेती करते थे।

 

लेकिन समूह कृषि आय बढ़ाने में मददगार साबित होगा। आलू की नई प्रजातियों की यह फसल 90 दिनों में तैयार हो जाएगी। उत्पादन बेहतर होगा। ऐसे में हमारा जोर इस प्रयोग की सफलता पर है।

 

उपज बेचने की चिंता नहीं

जीविका दीदी शोभा देवी, सुरेखा देवी, चंदा देवी, कल्पति देवी, गीता और प्रेमशीला का कहना है कि इस खेती से रोजगार मिल रहा है। फसल बेचने का झंझट भी नहीं है। बीज देने वाली कंपनी इसे उचित मूल्य पर खरीदेगी। दोनों कंपनियों के बीच अनुबंध खेती के लिए संपन्न हुआ। इसके तहत कंपनी आजीविका के जरिए उत्पादित आलू खरीदेगी। इसके लिए न्यूनतम मूल्य रु. 5.5 प्रति किग्रा होगा।

 

तकनीकी जानकारी दी जा रही है

मुख्यमंत्री ने सोनबरसा में जब जीविका और किसान दीदी के इस प्रयोग को देखा तो उन्होंने संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से तुरंत यहां खेती पर नजर रखने का आग्रह किया। प्रयोग सफल होने के बाद पूरे प्रांत में प्रचार-प्रसार करें। सुनिश्चित करें कि किसी भी स्थिति में आलू की कीमत कम नहीं मिले। अनुबंध आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए सभी किसानों को टेक्नो सर्व इंडिया की ओर से प्रशिक्षित किया जा रहा है।

 

उन्हें बताया जा रहा है कि कैसे कृषि को उद्योग का रूप दिया जा सकता है। इधर पूर्वी चंपारण के जिला कार्यक्रम प्रबंधक वरुण कुमार ने कहा कि आलू की खेती बेहतर ढंग से की जा रही है। जिले के कई हिस्सों से महिलाएं इसमें लगी हैं। कई जगहों पर आलू की खुदाई हो गयी है। सभी जगहों की फसल का आकलन कर खेती को मजबूत किया जाएगा।

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