किसानों की बड़ी चिंता का विषय: बढ़ता तापमान और तेज हवाएं, फसलों को हो सकता है नुकसान विशेष बातों का ध्यान रखकर बच सकते है किसान

किसानों की बड़ी चिंता का विषय: बढ़ता तापमान और तेज हवाएं, फसलों को हो सकता है नुकसान विशेष बातों का ध्यान रखकर बच सकते है किसान
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Kisaan Helpline

Agriculture Mar 02, 2021

पिछले कुछ दिनों से तापमान में वृद्धी और तेज हवाओं से जनवरी में बोई जाने वाली फसलों को नुकसान हो सकता है, बढ़ता तापमान और तेज हवाओ ने गेहू और जौ की खेती करने वाले किसानो की मुश्किले बढ़ा दी है, अगर लगातार ऐसा ही मौसम रहा तो उत्पादन में कमी आ सकती है, उत्पादन में कमी न हो इसके लिए किसानो को विशेष बातों का ध्यान रखना होगा, फसलों में समय समय पर सिंचाई करना होगी। इसमें किसानो का कहना है की अक्टुम्बर से जनवरी तक की बोई जाने वाली फसलों में कोई खास नुकसान नहीं होता लेकिन दिसम्बर और जनवरी में बोई जाने वाली फसलों को बढ़ते तापमान और तेज हवाओं से काफी नुकसान होता है, जिसके कारण उत्पादन में कमी आ सकती है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गेहूं की बुआई अधिक हुई है। इस रबी सत्र में 325.35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है, जबकि पिछले सत्र में 313.95 लाख हेक्टेयर गेहूं की बुवाई हुई थी। इस बार मध्य प्रदेश में (10.32 लाख हेक्टेयर), राजस्थान (2.87 लाख हेक्टेयर ), महाराष्ट्र (1.59 लाख हेक्टेयर), बिहार (2.33 लाख हेक्टेयर), और उत्तर प्रदेश (2.1 लाख हेक्टेयर) में गेहूं की बुवाई हुई है।

बढ़ता तापमान और तेज पछुआ हवा से गेहूं की फसल पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है, जानकारी के अनुसार उन्नाव के बीघापुर विकासखंड के टेढ़ा गॉंव के अनुभवी किसान इन्द्रराज पटेल (32 वर्षीय) इस वर्ष छुट्टा जानवरो से परेशान होकर मात्र एक हेक्टेयर में ही गेहूं की खेती कर रहे है। बदलते मौसम के असर को लेकर इन्द्रराज जी बताते  है की, "इस समय गेहूं की फसल लगभग 80 -85 दिन की हो गयी है, यह समय गेहूं में फूल निकल कर दाना बनने का समय होता है लेकिन अचानक बढ़ता तापमान और पछुआ हवा के कारण गेहूं की फसल पर बड़ा नुकसान कर सकती है। बढ़ते तापमान के कारण गेहूं की फसल में सिंचाई की अतिआवश्यकता होती है लेकिन साथ ही चली तेज हवा के कारण सिंचाई नहीं की जा सकती, क्योकि सिंचाई के कारण ज़मीन में नमी हो जाती है और तेज़ हवा के कारण फ़सल की जड़े हिल जाती है और कमज़ोर हो जाती है जिसके कारण गेहूं के पौधे की नीचे गिरने की संभावना होती है। कारणवश उत्पादन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
   
कई प्रदेशों में इस समय दिन का तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा बढ़ रहा है, अधिकतम तापमान औसत से पांच-सात डिग्री ऊपर तक जा रहा है। जिसके कारण दिसम्बर-जनवरी में बोई जाने वाली फसलों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। फसलों को सुरक्षित रखने के लिए किसानों को विशेष ध्यान देना पड़ेगा।

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र, करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बी एस त्यागी के अनुसार- "बढ़ता तापमान और तेज़ हवा अचानक मौसम का बदलाव किसानो की समस्या का कारण बन सकता है। कई राज्यों में तेज हवाएं चलने लगी है, जिसका प्रभाव गेहूं की फसल पर पड़ सकता है, बढ़ते तापमान के कारण हवा शुष्क चल रही है जिसके कारणवश फ़सल सूखने लगती है। इसलिए गेहूं की फ़सल में सिंचाई करना बहुत जरुरी होता है। किसानो को आवश्यकता है की वह मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार ही सिंचाई करे, कई बार सिंचाई करने के बाद बारिश भी हो जाती हैं जिसके कारण फसल पर बहुत अधिक नुकसान होता है, जिसका प्रभाव उत्पादन पर पड़ता हैं।"

प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीएस त्यागी ने बताया हैं की- "बढ़ते तापमान और तेज हवा चलने के कारण किसानों को फसल पर उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इससे लाभ के बजाए हानि भी हो सकती है। अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसानो को कुछ विशेष बातो को ध्यान में रखकर खेती करना होगी।

उन्नाव जिले सदर तहसील क्षेत्र के दुर्जन खेड़ा गाँव के अनुभवी किसान शिवराम यादव गेहू की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं। उनका कहना है की गेहूं की फसल में अभी फूल का समय चल रहा है लेकिन तेज हवा के कारण फूल जड़ने की सम्भावना रहती है और उच्च तापमान के कारण खेत जल्दी सुख जाते है और सिंचाई करना आवश्यक हो जाता हैं और सिंचाई के बाद हवा के कारण खड़ी फसल निचे गिरने की संभावना रहती हैं। ये तेज़ हवाएं होली के आसपास चलती हैं लेकिन इस बार समय से पूर्व चलने  लगी हैं, और साथ ही अचानक गर्मी बढ़ने लगी है जिसका प्रभाव गेहूं की फ़सल पर पड़ रहा हैं। साथ ही उनका कहना की हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मौसम के परिवर्तन की मार झेल रहे हैं कभी जून जुलाई महीने में फसल बौने के समय बारिश का कम होना और फसल काटने के समय अनावश्यक बारिश का आ जाना फ़सल को काफी नुक़सान पहुंचाता है, और अब ये तेज हवा और बढ़ती गर्मी हमारे लिए चिंता का विषय बनी हुई है।

मध्यप्रदेश के नीमच, मंदसौर जिले में गेहूं की फसल कटने लगी है, सतना जिले में जौ की फसल कटने का समय चल रहा है, कैमा गाँव की किसान शोभा चौधरी की जौ की फसल 15 दिन पहले ही पक गई, और अब फसल काटने भी लगी हैं, शोभा करीब एक एकड़ में जौ फसल की बुआई की थी। सतना जिले के किसान महेश कुशवाहा कहते है की गर्म हवा चलने के कारण जौ की फ़सल समय से पूर्व ही पक कर सुख चुकी है। हवा चलती रही तो गेहूं की फ़सल भी जल्दी सुख जाएगी। महेश कुशवाह ने 70 हज़ार रूपये में 25 एकड़ की जमीन ठेके पर ली है जिसमें दो एकड़ में जौ, पांच एकड़ में गेहूं, एक एकड़ में मसूर, कुछ में चना और सब्ज़ी लगा रखीं है।

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