नई दिल्ली।आये दिन सरकार की किसानो को लेकर कोई न कोई प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, किसानों की सालाना आमदनी को दोगुनी करने के लक्ष्य को पाने के लिए सरकार का पूरा जोश देखने को मिल रहा है। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र तोमर ने इस दिशा में किये गये प्रयासों की जहां गहन समीक्षा की वहीं किसानो के हित में चलाई जाने वाली योजनाए भी रफ़्तार में लाने के आदेश जारी किये है।
किसानों की आमदनी में वृद्धि के लिए मंत्रालय के वरिष्ठ अफसरों ने तोमर के समक्ष योजना की सही तस्वीर रखी। मांग आधारित खेती के साथ लागत घटाने और उपज के उचित दाम दिलाने पर खास नजर है।
राष्ट्रीय रेनफेड एरिया अथारिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अशोक दलवई ने इस समीक्षा बैठक के दौरान परंपरागत फसलों की खेती के साथ अन्य संबंधित उद्यमों के विकास का विवरण पेश किया। इसके अतिरिक्त वर्ष 2022 तक आमदनी दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में किये गये कार्यो का ब्यौरा पेश किया।
उन्होंने बैठक में बताया की खेती में उपज से लाभ को बढ़ाने के साथ संसाधनों का उचित प्रयोग कर लागत में कटौती जैसे उपाय किये जा रहे हैं। फसल चक्र को अपनाने के साथ खेती में विविधीकरण पर खास जोर दिया जा रहा है, जिसमें हाई वैल्यू फसलों की खेती की जा रही है।
आमदनी को बढ़ाकर दोगुना करने के लिए इसके अलावा गैर-कृषि कार्यो से किसानों को जोड़ने के बारे में तोमर ने विस्तार से जानकारी भी मांगी। समीक्षा बैठक में उन्हें बताया गया कि इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो योजना के विभिन्न पहलुओं पर विचार करती है।
इसके लिए सरकार के कुछ अन्य कृषि सम्बंधित विषय जैसे खेती को जोखिम से बचाने के लिए फसल बीमा योजना, किसानों की उपज का उचित मूल्य दिलाना और किसानों तक खेती की उन्नत जानकारी पहुंचाने को प्रमुखता दी गई है।
इस दौरान बैठक में बताया गया कि कृषि कार्यो से जहां 60 फीसद आमदनी का लक्ष्य है वहीं गैर कृषि कार्यो से 40 फीसद का लक्ष्य तय किया गया है। इस लक्ष्य को लेकर तैयार की गई रणनीति किसानों तक पहुंचा दी गई है। और उन रणनीतियों को लेकर राज्य सरकारों पर लगातार दबाव बढ़ाया जा रहा है। किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बाजार के भरोसे न रहना पड़ा इसके लिए दूसरी योजना के तहत मांग आधारित खेती पर जोर दिया जा रहा है।
बैठक में बताया गया कि खेती की जरूरतों को रियायती दरों पर किसानों तक समय पर पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक, सूक्ष्म पोषक तत्व, जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों से बचाने के उपायों पर जोर दिया जा रहा है। उपज को बाजार से जोड़ने की कोशिशें हो रही है, जिसके नतीजे भी मिलने लगे हैं।