जीरो बजट फार्मिंग विधि एक ऐसी विधि है, जिसमे किसान के अपने पारंपरिक और मूलभूत तरीके होते है। अगर हम बात करे तो एक तरह से जीरो बजट फार्मिंग का मतलब ये होता है कि किसान जो भी फसल उगाएं और उसकी खेती करे उसमें फर्टिलाइजर, कीटनाशकों का इस्तेमाल करने की बजाये खुद के द्वारा बनाई खाद का महत्व समझे और उसका प्रयोग करे। उदहारण के लिए इस खाद को गाय और भैस आदि के गोबर से, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड़, मिटटी तथा पानी से बनती है। इस विधि से खेती करने पर कभी फसल में रोग नहीं लगता है, और तो और जीरो बजट फार्मिंग से किसान को रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करने के लिए खर्च नहीं देना होगा।
क्या है जीरो बजट खेती?
अगर आप इसके बारे में बारीकी से नहीं जानते तो हम आपको बता दे की जीरो बजट खेती देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र पर निर्भर होती है। एक किसान तक़रीबन पच्चीस से तीस एकड़ की जमीन पर जीरो बजट खेती सिर्फ एक गाय के गोमूत्र और गोबर से कर सकता है।
इसके फायदों की बात की जाये तो जैसा की हमने आपको बताया इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसमें फसलों की सिंचाई के लिये पानी एवं बिजली भी मौजूदा खेती-बाड़ी की तुलना में दस प्रतिशत ही खर्च होती है।