Agriculture Advisory: आने वाले दिनों में वर्षा की सम्भावना को देखेते हुये सभी सब्जियों, दलहनी, मक्का तथा पौधशाला में जल निकास का उचित प्रबंन्ध करें। साथ ही सभी फसलों में सिचाई तथा किसी भी प्रकार का छिडकाव ना करें।
धान की नर्सरी यदि 20-25 दिन की हो गई हो तो तैयार खेतों में धान की रोपाई अतिशीघ्र करें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी रखें। उर्वरकों में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट/हैक्टर की दर से डाले, तथा नील हरित शैवाल एक पेकेट/एकड़ का प्रयोग उन्ही खेतो में करें जहाँ पानी खड़ा रहता हो, ताकि मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढाई जा सकें। धान के खेतों की मेंडो को मजबूत बनाये। जिससे आने वाले दिनों में वर्षा का ज्यादा से ज्यादा पानी खेतों में संचित हो सके।
वर्षा को ध्यान में रखते हुये किसान धान के खेतों की मेंड़ो को मजबुत बनाऐं जिससे ज्यादा से ज्यादा पानी खेत में रूक सके।
वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हूये किसानों को सलाह है कि इस सप्ताह मक्का की बुवाई करें। संकर किस्में - ए एच-421 व ए एच-58 तथा उन्नत किस्में पूसा कम्पोजिट-3, पूसा कम्पोजिट-4,बीज की मात्रा 20-30 किलोग्राम/हैक्टर रखें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें। मक्का, ज्वार एंव बाजरे में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम / हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर मौसम साफ होने पर छिडकाव करें।
यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए उप्युक्त हैं अतः किसान पूसा चरी-9, पूसा चरी-6, की बुवाई करें। बीज की मात्रा 20-30 किलोग्राम/हैक्टर रखें । लोबिया की बुवाई का भी यह उप्युक्त समय है।
जिन किसानों की मिर्च, बैंगन व अगेती फूलगोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को मध्यनजर रखते हुए रोपाई मेंड़ों (उथली क्यारियों) पर करें। किसान भाई ध्यान रखें कि खेत में ज्यादा पानी खड़ा न रहें यदि खेत में पानी ज्यादा रह गया तो उसकी निकासी का तुरंत प्रबन्ध करें।
कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें। उन्नत किस्में: लोकी- पूसा संतुष्टि, पूसा नवीन, पूसा सदेंश, करेला- पूसा विशेष, पूसा-दो मोसमी, सीताफल- पूसा विश्वास, पूसा विकास; तुरई- पूसा चिकनी, पूसा स्नेह; धारीदार तुरई- पूसा नसदार किस्मों की बुवाई मेंडों (उथली क्यारियों) पर करें।
कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसलों में हानिकारक कीटों-बीमारियों की निगरानी करें व बेलों को ऊपर चढ़ाने की व्यवस्था करे। ताकि वर्षा से सब्जियों की लताओं को गलने से बचाया जा सके तथा जल निकास का उचित प्रबन्ध रखें।
कद्दूवर्गीय एवं अन्य सब्जियों में मघुमक्खियों का बडा योगदान है क्योंकि, वे परांगण में सहायता करती है इसलिए जितना संभव हो मघुमक्खियों के पालन को बढ़ावा दें।कीड़ों एवं बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहे, कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क रखें व सही जानकारी लेने के बाद ही दवाईयों का प्रयोग करें। फल मक्खी से प्रभावित फलों को तोडकर गहरे गड्डे में दबा देवें, फल मक्खी के बचाव हेतू खेत में विभिन्न जगहो पर गुड़ या चीनी के साथ मैलाथियान का घोल बनाकर छोटे कप या किसी और बरतन में रख दें ताकि फल मक्खी का नियंत्रण हो सके।
इस मौसम में किसान ग्वार, लोबिया, भिंड़ी, सेम, पालक, चोलाई आदि सब्जी फसलों की बुवाई करें। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से खरीदें एवं बीजों को उपचारित करके ही बोये।
किसान इस समय मूली- वर्षा की रानी, समर लोंग, लोंग चेतकी, पूसा चेतकी; पालक- आल ग्रीन तथा धनिया- पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेंड़ों (उथली क्यारियों) पर करें तथा जल निकास का उचित प्रबन्ध करें।
भिंड़ी, मिर्च तथा बेलवाली फसल में माईट, जैसिड़ और होपर की निरंतर निगरानी करते रहें। अधिक माईट पाये जाने पर फाँसमाईट @ 1.5-2 मि.ली./ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव मौसम साफ होने पर करें।
बेबी कार्न की किस्म एच एम-4 तथा स्वीट कार्न की बुवाई के लिए यह समय उत्तम हैं।
किसान गोबर की सड़ी गली खाद का अधिक से अधिक प्रयोग करें क्योंकि यह भूमि की जलधारण क्षमता बढ़ाता है, फसलों में पोटाश उर्वरक का प्रयोग करें इससे फसलों में सुखा सहन करने की शक्ति ज्यादा होती है एवं कीटों व बीमारियों का प्रकोप भी कम होता है।
फलों के नऐ बाग लगाने वाले गड्डों में अच्छी गुणवत्ता के पौधों को लगाये।
वर्षा को ध्यान में रखते हुऐ किसानों को सलाह है कि वे अपने खेतो के किसी एक भाग में वर्षा के पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें जिसका उपयोग वे वर्षा न आने के दौरान फसलों की उचित समय पर सिंचाई के लिए कर सकते है।
सलाहकार समिति के वैज्ञानिक
डा.अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)
डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.बी.एस.तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)
डा.जे.पी.एस. ड़बास (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)
डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)
डा.दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)
डा.पी.सिन्हा(प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)