केंचुआ किसानों एवं खेती के लिए प्राकृतिक हितेषी मित्र है तथा इसके मल को वर्मीकंपोस्ट कहते हैं। सर्वप्रथम डार्विन ने कहा था कि केंचुए कुदरती हलवाई होते हैं। इसी प्रकार अरस्तु ने केंचुओं को भूमि की आंत का स्थ दिया था। ये भूमि को अंदर ही अंदर भुरभुरा बनाते रहते हैं। एक स्वस्थ कृषि भूमि में एक वर्गफुट में 4 से 8 केंचुए मिल जाते हैं। एक केंचुआ प्रतिदिन 25 से 100 बार भूमि की परत में ऊपर-नीचे चलकर भूमि की संरंधता को बढ़ाता है। कृषि में आइसीनिया फोटिडा केंचुआ का अधिकांश प्रयोग किया जाता है। वर्मीकंपोस्ट तैयार करने के लिए फसल अवशेष एवं घास-फूंस, कूड़ा-कचरा आदि को प्रयोग करके इस जाति को उसमें छोड़ दिया जाता है, जो फसल अवशेषों को खाकर वर्मीकंपोस्ट तैयार करते हैं। एवं अपनी संख्या बढ़ा देते हैं। वर्मीकंपोस्ट खाद अन्य कार्बनिक खादों से सस्ती एवं टिकाऊ होती है क्योंकि इसमें पोषक तत्व पौधों के लिए अधिक मात्रा में होते हैं। आज जैविक खेती में वर्मीकंपोस्ट का प्रयोग अति आवश्यक हो गया है।
वर्मीकंपोस्ट बनाने के लिए स्थान का चयन
वर्मीकंपोस्ट बनाने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करें जहां पर जलभराव की स्थिति न हो तथा छायादार स्थान हो। यदि छाया न हो तो घास का एक छप्पर बनाना चाहिए। शेड का आकार उपलब्ध गोबर व बैड की संख्या पर निर्भर करता है। गांव में शेड लकड़ी का, बांस एवं घास से तैयार किया जा सकता है।
केंचुआ खाद बनाने के लिए उचित समय
सामान्यतः केंचुआ खाद वर्ष भर बना सकते हैं, लेकिन अधिकतम 16 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम पर केंचुए अधिक क्रियाशील होते हैं।
वर्मीकंपोस्ट बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
- गोबर की खाद व घास-फूंस की मात्रा: 100 कि.ग्रा.
- केंचुआ : 1/2 कि.ग्रा. केंचुआ प्रति वर्ग फुट ।
- जल की मात्रा : मौसम व आवश्यकतानुसार।
वर्मीकंपोस्ट खाद बनाने के लिए गोबर पहले से एकत्रित किया हुआ होना चाहिए, जिससे उसमें मीथेन गैस न रहे। गोबर के साथ घास-फूंस को भी पूर्व में ही थोड़ा सड़ा हुआ ही मिलाएं, तो बेहतर होगा। क्योंकि बिना सड़ा हुआ घास-पात व कूड़ा-कचरा गोबर के साथ मिलाते हैं, तो इसमें गर्मी पैदा होती है। यदि एक भाग वनस्पति अवशेष, घास, पौधों की पत्तियां एवं तीन भाग गोबर को • मिलाकर बनाया जाए तो सबसे अच्छे परिणाम मिलते हैं।
वर्मीकंपोस्ट की प्रयोग मात्रा
- भूमि में जब नमी हो उस समय वर्मीकंपोस्ट को छिड़क कर भूमि में मिला दें तथा प्रतिवर्ष प्रति हेक्टेयर 2 से 4 टन खाद दें।
- वर्मीकंपोस्ट कपास, सोयाबीन, मक्का, ज्वार इत्यादि फसलों में प्रथम 5, द्वितीय 2.5 एवं तृतीय वर्ष 1.5 टन प्रति हेक्टेयर तथा फसलों में 3 टन प्रति हेक्टेयर मिला देना चाहिए। फलदार वृक्षों में 1 से 10 कि.ग्रा. वृक्ष की आयु व आकार के अनुसार तने के चारों और घेरा बनाकर प्रयोग करें।
- सब्जी वाली फसलों के लिए 8 से 10 टन/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। गमलों में प्रति गमला 100 से 200 ग्राम वर्मीकंपोस्ट देना चाहिए।