किसान ने गेहूं को छोड़कर की चने की खेती, कृषि मंत्री कमल पटेल तारीफ करने खेत में पहुंचे

किसान ने गेहूं को छोड़कर की चने की खेती, कृषि मंत्री कमल पटेल तारीफ करने खेत में पहुंचे
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Kisaan Helpline

Agriculture Jan 25, 2022

MP Agriculture News: मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल सोमवार को एक किसान के खेत में पहुंचे और फसल विविधीकरण के लिए उनकी प्रशंसा की। किसान ने गेहूं को छोड़कर चने की खेती की है। इसके बाद कृषि मंत्री ने फसल बदल-बदलकर खेती करने वाले किसानों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से लागत भी कम आएगी, फसल अच्छी होगी। किसानों को बाजार में सही दाम भी मिलेगा। दरअसल, इन दिनों केंद्र सरकार भी फसल विविधीकरण पर काफी जोर दे रही है। वह चाहती हैं कि धान और गेहूं की खेती कम करके किसानों को दलहन और तिलहन फसलों की ओर आकर्षित किया जाए। क्योंकि भारत इन दोनों में आत्मनिर्भर नहीं बन पाया है।


मध्य प्रदेश में कृषि को लाभदायक व्यवसाय बनाने की सरकार की अपील का असर देखने के लिए पटेल अचानक हरदा के एक किसान के खेत में पहुंच गए और वहां एक खेत की चौपाल लगा दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने लगातार किसानों और भाइयों से फसल विविधीकरण को अपनाने की अपील की है। इस अपील का जायजा लेने के लिए कमल पटेल हरदा जिले के ग्राम सिरकंबा स्थित किसान गोकुल करोड़ के खेत में पहुंचे।

22 एकड़ में 22 लाख की फसल
किसान गोकुल करोड़ ने इस बार सरकार की अपील को ध्यान में रखते हुए अपने खेत में गेहूं की जगह डॉलर चना बोया है। गोकुल की फसल खेत में फल-फूल रही है। गोकुल ने 22 एकड़ में चना बोया है। पहले वे गेहूं की फसल लेते थे, लेकिन इस बार उन्होंने सरकार की अपील और कृषि मंत्री के सुझाव पर चना बोया। इस बार एक एकड़ में एक लाख की फसल आने का अनुमान है। यानी 22 एकड़ में 22 लाख की फसल।

गेहूं और चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
किसान ने इस बात को स्वीकार किया कि अगर उसने गेहूं की फसल ली होती तो उसे 4 गुना पानी देना पड़ता, मेहनत ज्यादा होती और खर्चा ज्यादा होता, आमदनी कम होती। रबी विपणन सीजन 2022-23 के लिए चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5230 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि गेहूं का एमएसपी 2015 रुपये होगा।

कम लागत का दावा
कृषि मंत्री कमल पटेल ने खेत चौपाल पर किसान गोकुल करोड़ को बधाई देते हुए किसान भाइयों से फसल विविधीकरण पर जोर देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से लागत भी कम होगी, फसल अच्छी होगी, कीमत अच्छी होगी और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी। ऐसा करने से ही कृषि एक लाभदायक व्यवसाय बनेगा। आत्मनिर्भर किसान होगा तो आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार होगा।

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