- खेत की सफाई अप्रैल-मई माह में करें साथ ही कम्पोस्ट खाद संवर्धन का कार्य करें।
- कपास, गन्ना, धान, केला, पपीता, मिर्च की फसल समाप्ति पर पौधों को उखाड़ कर उसके अवशेष झाड़ कर या उपयुक्त यंत्र द्वारा एकत्रित करें।
- जलावन हेतु, संटी व अन्य फसलों के डंठल को गांव में घर के बाड़े में एकत्रित करे।
- कीट के पोषक पौधे जो खेत में, खेत की मेढ़ पर उगते है, खोद कर निकालें व खाद के गड्ढे में भरकर कम्पोस्ट बनाएं।
- कम्पोस्ट की गुणवत्ता में वृद्धि हेतु व व्याधि के कारक नष्ट हो जाएं, उस हेतु ट्रायकोडर्मा विरिडी के उपरान्त कम्पोस्ट की उपयोगिता में वृद्धि हो, उस हेतु स्फुर घोलक, ट्रायकोडर्मा विरिडी, माइकोराइजा, ऐस्परजिलस, अजेटोबेक्टर, एजोस्पायरिलम इत्यादि मिलाएं। मिट्टी, गोबर का पानी समय-समय पर छिड़कते रहें।
- गर्मी में गहरी जुताई करें। गहरी जुताई दो-तीन वर्ष में एक बार करें।
- कपास के कीट-व्याधि भूमि व मेद व आश्रयदायी पौधों पर आश्रय पाते है। गहरी जुताई 'प्लो हल से करें।
- कपास के क्षेत्र में भिण्डी, धान के क्षेत्र में गर्मी में धान, सोयाबीन के क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की कास्त नहीं करें, इससे मुख्य मौसम में फसलों में व्याधि कीट का प्रकोप कम रहेगा।
- मई-जून में नीम के पेड़ से गिरने वाली निम्बोली इकट्ठी करके रखें। नीम की गरी का अर्क बनाकर आरम्भिक अवस्था में छिड़काव के काम आएगी, एक आहाररोधी रूप में।