जल शक्ति अभियान
जल शक्ति अभियान के तहत, इस मौसम में वर्षा जल संग्रह व भूजल पुनर्भरण कार्य के लिए, खेत का पानी खेत में रख कर जल का संग्रहण-संवर्धन कीजिए। दो खेतों के बीच मेढ़ के पास नाली को जरूर बनाएं।
वर्षा जल को खेत के आसपास एकत्रित करें। और इस प्रकार वर्षा जल संग्रह व भूजल पुनर्भरण कार्य के लिए, कुएं, नलकूप/ट्यूबबेल के केसिंग पाइप से, वर्षा जल एकत्र कर भू-जल पुनर्भरण कर सकते हैं।
कृषि सलाह
किसानो की इस समय की महत्वपूर्ण फसल सोयाबीन में सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली का प्रकोप देखने भी बहुत ज्यादा देखने में आ रहा है। इसके दुष्प्रभाव को रोकने के लिए और इसके नियंत्रण हेतु क्विनालफॉस 25 ईसी (1500 मि.ली./हे.) अथवा इन्डोक्साकार्ब 14.5 एससी (300 मि.ली./हे.) अथवा फ्लूबेन्डीयामाईड 39.35 एससी (150 मि.ली./ हे.) अथवा फ्लूबेन्डीयामाईड 20 डब्ल्यूजी (250 से 300 मि.ली./हे.) अथवा स्पायनोटेरम 11.7 एससी (450 मि.ली./हे.)।
इसके अतिरिक्त धान में 10 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से नील हरित काई (एजोला) को डालने से उत्पादन में अभिन्न वृद्धि होती है।
अगर आपको आपकी धान की फसल में खैरा बीमारी के लक्षण दिखाई देते है तो इसके उपाय के लिए आप 100 ग्राम जिंक ई. डी. टी. ए. को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर खड़ी फसल में इसका छिड़काव कर सकते है।
मक्का की उपज और उसके उत्पादन को प्रभावित करने वाले फाल आर्मी वर्म कीट के प्रबंधन हेतु जैविक कीटनाशी दवा बिवेरिया बेसियाना 400 मि.ली./ एकड़ या रसायनिक दवा इमामेक्टिन बेंजोएट 80 ग्राम/ एकड़ की दर से 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
उद्यानिकी
भिंडी की खेती में पुष्पन अवस्था पर लाल मकड़ी का प्रकोप बहुत अधिक होता है, और इसका प्रकोप बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक है अत: इसके नियंत्रण के लिए सल्फर 80 प्रतिशत डबल्यूपी 40 ग्राम प्रति पंप के हिसाब से खुले में छिड़के।
पशुपालन
पशु स्वास्थ्य एवं दूध उत्पादन को बनाए रखने एवं रोगों से बचाने के लिए पशुबाड़े (पशुओ को रखने वाले स्थान) की साफ सफाई का विषेश ध्यान रखें एवं आसपास उगी झाड़ी व गाजरघास को निकाल कर गड्ढों में गढ़ा दें।