वर्तमान समय में किसानों के लिए एक से एक विकल्प मौजूद हैं, किसान नई तकनीक के साथ साथ नईं फसलों का चुनाव कर खेती शुरू कर रहे हैं। जिनमें अधिकतर औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं, इनके सहारे वे अपनी आय बढ़ा रहे हैं और अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस दौर में औषधीय पौधों की खेती किसानों के लिए एक शानदार विकल्प के रूप में उभरी है। सबसे अच्छी बात यह होती है कि इन पौधों की खेती में लागत काफी कम आता है, जिससे मुनाफा ज्यादा होता है, दवाई बनाने में इस्तेमाल के कारण इनकी मांग हमेशा बनी रहती है। आइये जानते है सर्पगंधा की खेती के बारे में
इन राज्यों में होती है सर्पगंधा की खेती
सर्पगंधा के पौधे को एशिया महाद्वीप का पौधा माना जाता है। भारत देश में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है।
सर्पगंधा पौधे के औषधीय गुण
जानकारी के अनुसार विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत में 400 वर्ष से सर्पगंधा की खेती किसी न किसी रूप में हो रही है। पागलपन और उन्माद जैसी बीमारियों के निदान में इसका उपयोग किया जाता है। सांप और अन्य कीड़े के काटने पर भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
फसल की समयावधि
इसके बाद फूल आने पर फल और बीज बनने के लिए छोड़ दिया जाता है। सप्ताह में दो बार तैयार बीजों को चुना जाता है। यह सिलसिसा पौध उखाड़ने तक जारी रहता है। अच्छी जड़े प्राप्त करने के लिए कुछ किसान 4 साल तक पौधे को खेत में रखते हैं। हालांकि कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि 30 माह का समय सबसे उपयुक्त होता है।
सर्पगंधा की खेती से होने वाला लाभ
30 माह बाद सर्दी के मौसम में जब पत्ते झड़ जाते हैं तब पौधों को जड़ सहित उखाड़ लिया जाता है। जड़ों को साफ कर अच्छे से सूखा लिया जाता है, फिर किसान इसे बाजार में बेच सकते हैं। किसान बताते हैं कि पत्ते से भी दवाइयां बनती हैं, वहीं एक एकड़ में 30 किलो तक बीज निकलता है, जिसकी बाजार में कीमत प्रति किलो 3 हजार रुपए है। एक एकड़ में सर्पगंधा की खेती करने पर 4 लाख रुपए तक का लाभ होता है।
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