प्याज भारत में एक महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल है। हरे प्याज को कंदीय फसल भी कहते हैं जिसकी जड़ या कंद छोटी होती है। इसकी पत्तियाँ लहसुन की पत्तियों के जैसे लम्बे चौड़े सीधी और नुकीले और तना सफेद होता है। इसमें प्रोटीन एवं कुछ विटामिन भी अल्प मात्रा में रहते हैं। प्याज में बहुत से औषधीय गुण पाये जाते हैं। इसका इस्तेमाल सूप, सलाद, और सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। सामान्यतः भारत के प्याज उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, उ.प्र., उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडू, म.प्र.,आन्ध्रप्रदेश एवं बिहार प्रमुख हैं। मध्यप्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक प्रदेश है। म.प्र. में प्याज की खेती खंण्डवा, शाजापुर, रतलाम, छिंन्दवाड़ा, सागर एवं इन्दौर में मुख्य रूप से की जाती है। इसकी खेती साल में 2 बार– नवम्बर और मई में की जाती है।
हरे प्याज के औषधीय गुण
हरे प्याज में कई पोषक तत्व जैसे की कैल्सियम, विटामिन, आयरन, कॉपर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, मैगनीज थाइमीन आदि पाये जाते है। प्राचीन समय से चीन में इसका इस्तेमाल दवाइयों के रूप में किया जाता रहा है। हरे प्याज खाने से आंखे स्वस्थ, दिल स्वस्थ, डायबिटीज कंट्रोल, कैंसर की रोकथाम, हड्डियां मजबूत करने में मदद मिलती है।
बुवाई का समय
हरे प्याज के बुआई का समय सितंबर के मध्य से नवम्बर तक रहता है। पहाड़ी जगहों पे मार्च- अप्रैल तक का समय उचित होता है।
नर्सरी तैयार करने का तरीका
हरे प्याज का पौधा बीज के द्वारा तैयार क्यारियों में बोआ जाता है। दो पंक्तियों के बीच 4-5 सेंटीमीटर की दुरी और दो बीज के बीच 1-2 मिलीमीटर की दूरी होनी चाहिए। इसके बाद पंक्तियों में बारीक़ पत्ति का खाद छिड़क कर बीज को ढक दे और नमी होने तक सिंचाई करते रहे। 10-15 दिन में बीज अंकुरित और 25-30 दिन में रोपने के लिए तैयार हो जायेगा।
पौधरोपण का तरीका
जब पौधे 8-10 सेंटीमीटर के हो जाये तो उन्हें पंक्तियों में लगाना चाहिए। दो पंक्तियों के बीच 25-30 सेंटीमीटर की दुरी और दो पौधे के बीच 15 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए। हलकी नाली बना के भी इस पौधे को रोपा जा सकता है।
बीज की मात्रा
प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा-10 किलो।
अनुकूल जलवायु
ठंडी जलवायु इस फसल के लिए उपयुक्त होता है। लम्बे समय तक की ठंड में इसकी वृद्धि अच्छी होती है।
भूमि का चयन
इसकी खेती के लिए दोमट या हलकी बलुई दोमट, अच्छी जलनिकासी वाली और जीवांश युक्त मिट्टी जिसका pH मान 6-7 हो उपयुक्त माना जाता है।
खेत की तैयारी
हरे प्याज की खेती के लिए खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले हल से या ट्रेक्टर से 2-3 जुताई कर दें जिससे सभी घास नष्ट हो जाये और मिट्टी बारीक हो जाये। 1-2 जुताई और कर दे जिससे मिट्टी भुरभुरा हो जाये और खेत में ढेले ना रहे।
खाद एवं उर्वरक
हरे प्याज के अच्छे विकास के लिए प्रति हेक्टर 8-10 टन सड़ी गोबर, 100 किलो यूरिया, 60 किलो पोटाश, 80 किलो फास्फोरस आदि डाले। गोबर को खेत की जुताई के समय मिलाये और यूरिया की आधी मात्रा और पोटाश, फास्फोरस की पूरी मात्रा अंतिम जुताई के समय दे और अच्छे से मिट्टी में मिला दे। यूरिया की शेष मात्रा को 25-25 दिन के बाद 3 हिस्सो में डाले।
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय समय पर निराई गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
पहली सिंचाई पौध रोपाई के बाद और उसके बाद हर 10-12 दिन के बाद करना चाहिए। इस तरह 10-15 सिंचाई की जरुरत पड़ती है।
फसल की कटाई
जब प्याज का तना 2-3 सेंटीमीटर मोटा हो जाये तो उखाड़ लेना चाहिए।
उत्पादन
पत्तियाँ सहित प्रति पौधे से 125-150 ग्राम उपज प्राप्त होता है। प्रति हेक्टेयर लगभग 400-500 क्विंटल उपज प्राप्त किया जा सकता है।