भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का अहम योगदान है और कृषि में गायों का एक अहम रोल है। देश में खेती के साथ-साथ पशुपालन करना एक आम बात है, ग्रामीण इलाकों में गाय पालन एक कमाई का बहुत बड़ा जरिया है। इन दिनों गाय के मूत्र से कीटनाशक तैयार किया जा रहा है। अब तक किसान केवल गाय के दूध का व्यवसाय करके मुनाफा कमाते थे, लेकिन अब वे गोबर और गौमूत्र को भी बढ़िया आमदनी हासिल कर सकते हैं।
इस संबंध में वैज्ञानिकों का मानना है कि रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से नष्ट हुई धरती को बचाने के लिए गोबर और गोमूत्र अमृत के समान हैं। इसके प्रयोग से मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे खराब भूमि भी ठीक होने लगती है। गौमूत्र भी इस काम में अहम भूमिका निभाता है।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी गौमूत्र की खरीदारी हो रही है। हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने 4 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से गौमूत्र खरीदने का फैसला किया है। सरकार के मुताबिक इससे प्राकृतिक कीटनाशक और उर्वरक बनाए जाएंगे, जिससे खेतों में रासायनिक खादों का प्रयोग कम होगा। इसके अलावा फसल भी अच्छी होगी, जिससे पशुपालकों और किसानों की आय भी बढ़ेगी।
खेती में गौमूत्र का उपयोग
बीज उपचार में उपयोग: गौमूत्र का उपयोग बीजों के उपचार के लिए भी किया जा सकता है। इससे फसलों में बीज जनित रोगों की संभावना कम हो जाती है।
जैव कीटनाशक बनाने में: गौमूत्र से बने जैव-कीटनाशकों का प्रयोग रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर किया जा सकता है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति को नुकसान नहीं होगा और फसल खराब करने वाले कीड़ों को भी दूर रखा जाएगा।
जैव फफूंदनाशक बनाने में: फसलों को फंगस से बचाने के लिए उन पर गौमूत्र का छिड़काव करना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
जीवामृत, बीजामृत और पंचगव्य बनाने में: जीवामृत, बीजामृत और पंचगव्य भी गौमूत्र से बनते हैं। जो बीज और फसलों के उपचार के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
गौमूत्र से जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा
आपको बता दें कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के कारण कृषि भूमि की उत्पादकता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। हाल के कुछ वर्षों से सरकार कई योजनाओं के माध्यम से किसानों के बीच जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रही है। गौमूत्र से बने कीटनाशकों के प्रयोग से भी सरकार की इन योजनाओं का अत्यधिक लाभ होगा।