दक्षिण पश्चिम मॉनसून में काफी हद तक बारिश की जो कमी खल रही थी उसकी पूर्ण रूप से भरपाई हो गई है और देश भर में खरीफ बुआई का कार्य अच्छी रफ़्तार से अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने गत दिनों यह जानकारी की पुष्टि की। श्री तोमर ने कहा, मॉनसून आने में थोड़ी देरी हुई और कुछ चिंता पैदा हुई। बारिश की कमी की काफी भरपाई हो गई है। और इसका असर खरीफ की फसल के उत्पादन पर देखने को मिलेगा।
कृषि मंत्री ने बताया की हमें उम्मीद है कि कुल मिलाकर बरसात की स्थिति बेहतर हो जाएगी और खरीफ फसलों के तहत बुआई रकबे में कमी को पूरा कर लिया जाएगा। देश के बाढ़ प्रभावित क्षैत्र महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों के लिए उन्होंने कहा की केंद्र सरकार की स्थिति की बारीकी से नजर है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, खरीफ की सभी फसलों की बुआई का कुल रकबा गत वर्ष के 918.70 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम यानी 869.55 लाख हेक्टेयर ही है।
धान की बुआई का रकबा अभी भी कम है और आने वाले हफ्तों में स्थिति और भी बेहतर होगी क्योंकि बुआई की समय- सीमा सितंबर के पहले सप्ताह तक चलेगी।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खरीफ की सीजन में अब तक धान बुआई का रकबा 265.20 लाख हेक्टेयर है जो पिछले साल की समान अवधि में 304.18 लाख हेक्टेयर था।
आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष खरीफ सत्र में 115.39 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई की गई है। तिलहन की बुआई 157.17 लाख हेक्टेयर में की गई है। समीक्षाधीन अवधि में मोटे अनाज की बुआई 153.92 लाख हेक्टेयर में की गई है।