खरपतवार नियंत्रण से लेकर उर्वरको का प्रयोग, जाने मक्का फसल के लिए आवश्यक बातें

खरपतवार नियंत्रण से लेकर उर्वरको का प्रयोग, जाने मक्का फसल के लिए आवश्यक बातें
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Kisaan Helpline

Agriculture Jul 19, 2019

निराई - गुड़ाई खरपतवार नियंत्रण 

मक्का की खेती में निराई गुड़ाई का अधिक महत्व है। निराई गुड़ाई द्वारा खरपतवार नियंत्रण के साथ ही आक्सीजन का संचार होता है। जिससे वह दूर तक फैल कर भोज्य पदार्थ को एकत्र कर पौधों को देती है। पहली निराई जमाव के 15 दिन बाद कर देना चाहिए और दूसरी निराई 35 - 40 दिन बाद करनी चाहिए। मक्का में खरपतवारों को नष्ट करने के लिए

1. एट्राजीन 2 किग्रा . प्रति हे . अथवा 800 ग्राम प्रति एकड़ मध्यम से भारी मृदाओं में तथा 1. 25 किग्रा. प्रति हे अथवा 500 ग्राम प्रति एकड़ हल्की मृदओं में बुवाई के तुरन्त 2 दिनों में 500 लीटर / हे . अथवा 200 लीटर / एकड़ पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए। इस शाकनाशी के प्रयोग से एकवर्षीय घासकुल एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार बहुत ही प्रभावी रूप से नियमित हो जाते है। इस रसायन द्वारा विशेषरूप से पथरचटा ( यडरगन्थिया ) भी नष्ट हो जाता है।

2. जहाँ पर पथरचटा की समस्या नहीं है वहाँ पर लासो 50 ई.सी. ( एलाक्लोर ) 5 लीटर प्रति हेक्टर अथवा 2 लीटर प्रति एकड़ बुवाई के दो दिनों के अन्दर प्रयोग करना आवश्यक है।

3. हार्डी खरपतवारों जैसे कि वन पट्ट ( बेचेरिया रेप्टान्स ), रसभरी ( कोमेलिया वैफलेन्सिस ) को नियन्त्रित करने हेतु बुवाई के दो दिनों के अन्दर एट्राटाफ 600 ग्राम प्रति एकड़ + स्टाम्प 30 ई.सी. या ट्रेफ्लान 48 ई.सी. ( ट्रेफ्लूरेलिन ) प्रत्येक 1 लीटर प्रति एकड़ अच्छी तरह से मिलाकर 200 लीटर पानी के साथ प्रयोग करने पर आशातीत परिणाम आते है।

उर्वरकों का संतुलित प्रयोग  

मात्रा : मक्का की भरपूर उपज लेने के लिए संतुलित उर्वरकों का प्रयोग आवश्यक है । अतः कृषकों को मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए । यदि किसी कारणवंश मृदा परीक्षण न हुआ हो तो देर से पकने वाली संकर एवं संकुल प्रजातियों के लिए क्रमशः 120 : 60 : 60 व शीघ्र पकने वाली प्रजातियों के लिए 100 : 60 : 40 तथा देशी प्रजातियों के लिए 80 : 40 : 40 किग्रा . नत्रजन , फास्फोरस तथा पोटाश प्रति हेक्टर प्रयोग करना चाहिए । गोबर की खाद 10 टन प्रति हे . प्रयोग करने पर 25 % नत्रजन की मात्रा कम कर देनी चाहिए।

विधि : बुवाई के समय एक चौथाई नत्रजन , पूर्ण फास्फोरस तथा पोटाश कुड़ों में बीज के नीचे डालना चाहिए। अवशेष नत्रजन तीन बार में बराबर - 2 मात्रा में टापड्रेसिंग के रूप में करें। पहली टापड्रेसिंग बोने के 25 - 30 दिन बाद ( निराई के तुरन्त बाद ) दूसरी नर मंजरी से आधा पराग गिरने के बाद अवस्था संकर इन मक्का में बुवाई के 50 - 60 दिन बाद एवं संकुल में 45 - 50 दिन बाद आती हैं।

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