फूलों की खेती: फूलों का प्रयोग आमतौर पर हर जगह किया जाता है। इसका उपयोग विवाह समारोह में, धार्मिक पूजा के स्थान पर, सामाजिक आयोजनों आदि में किया जाता है। फूलों का निर्यात भी दूर देशों में अधिक होता है। इसलिए वर्तमान में फूलों की खेती किसानों के लिए आय का एक अच्छा स्रोत बनता जा रहा है। ऐसे में सरकार भी किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय पुष्प अनुसंधान संस्थान में बुनियादी ढांचे की सुविधा के रूप में “प्रक्षेत्र कार्यालय-सह-प्रयोगशाला भवन” का उद्घाटन किया। इस अवसर पर तोमर ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए फूलों की खेती जैसे वैल्यू एडिशन (मूल्य संवर्धन) किया जाना चाहिए, इसे अधिक से अधिक किसानों द्वारा अपनाया जाना चाहिए और प्रसंस्करण से भी जोड़ा जाना चाहिए।
मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि देश की परंपराओं, धार्मिक-सामाजिक-राजनीतिक आदि के अनुसार फूलों की जरूरत आज भी है। निर्यात की दृष्टि से भी फूलों के व्यापार में काफी गुंजाइश है, जबकि हमारे देश की विविध जलवायु इतनी समृद्ध है कि फूलों की खेती बहुत फल-फूल सकती है। उन्होंने गुलकंद जैसे फूलों के मूल्य वर्धित उत्पादों को गुलाब और अन्य फूलों के उत्पादों में समयबद्ध तरीके से परिवर्तित करने और किसानों को बाजार बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया, ताकि आय में वृद्धि हो सके।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इसके साथ ही किसानों को तकनीकी रूप से भी मजबूत होना होगा। फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। उन्होंने वेस्ट टू वेल्थ मिशन का हवाला दिया और यह भी कहा कि कृषि उत्पादों को वैश्विक मानकों को पूरा करना चाहिए। अधिक से अधिक अनुसंधान के माध्यम से कृषि का विकास इस प्रकार किया जाना चाहिए कि युवा इसकी ओर आकर्षित हो सकें तथा नये रोजगार सृजित हो सकें। तोमर ने कहा कि नई किस्मों के विकास और अनुसंधान में इस बात का ध्यान रखा जाए कि फूलों की सुगंध कम न हो, सुगंध का अपना ही महत्व है।
राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने प्रयोगशालाओं में विकसित प्रौद्योगिकियों के खेतों में प्रसार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, लैब टू लैंड पहल के माध्यम से किसानों के बीच किस्मों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बेहतर किस्मों और प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) संस्थानों के वैज्ञानिकों की सराहना की। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान) डॉ. ए.के. सिंह ने भी संबोधित किया। भारतीय पुष्प अनुसंधान संस्थानके निदेशक डॉ. के.वी. प्रसाद ने आभार माना। कार्यक्रम में बागवानी से जुड़े किसान, नर्सरीमैन, निर्यातक, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि और अन्य हितधारक मौजूद थे।