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भारत सरकार ने 2025-26 के विपणन सत्र के लिए प्रमुख रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की घोषणा की है। इस कदम के तहत गेहूं का एमएसपी 150 रुपये बढ़ाकर ₹2,425 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले ₹2,275 प्रति क्विंटल था। यह निर्णय आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में छह प्रमुख रबी फसलों के एमएसपी में 130 रुपये से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि को मंजूरी दी गई है। यह फैसला अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले विपणन सत्र के लिए प्रभावी होगा।
इस निर्णय के तहत रबी सीजन की छह प्रमुख फसलों - गेहूं, चना, मसूर, जौ, सरसों और सूरजमुखी के बीज के समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है। एमएसपी में यह बढ़ोतरी 2018-19 के केंद्रीय बजट में की गई घोषणा के अनुरूप है, जिसमें किसानों को उनकी उत्पादन लागत के मुकाबले 1.5 गुना अधिक एमएसपी देने की प्रतिबद्धता जताई गई थी।
इस बार गेहूं के एमएसपी में 150 रुपये की वृद्धि की गई है, जिससे यह अब ₹2,425 प्रति क्विंटल हो गया है। वहीं, सरसों का एमएसपी ₹300 की बढ़ोतरी के साथ ₹5,950 प्रति क्विंटल किया गया है, जिससे देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
मसूर के समर्थन मूल्य में भी 275 रुपये की बढ़ोतरी की गई है, जिससे इसका एमएसपी ₹6,700 प्रति क्विंटल हो गया है। चने का एमएसपी 210 रुपये बढ़ाकर ₹5,650 प्रति क्विंटल किया गया है। इसी तरह, जौ का एमएसपी भी 130 रुपये बढ़ाकर ₹1,980 प्रति क्विंटल किया गया है। सूरजमुखी के बीज का एमएसपी ₹140 की वृद्धि के साथ अब ₹5,940 प्रति क्विंटल हो गया है।
रबी फसलों के इस एमएसपी में वृद्धि से किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम मिलेंगे, जिससे उनकी आय में सुधार होगा। इसके साथ ही, तिलहन और दालों के समर्थन मूल्य में हुई बढ़ोतरी से इन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आयात पर निर्भरता कम होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेगा और कृषि क्षेत्र में विविधीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा।
सरकार ने एमएसपी की यह घोषणा अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत को ध्यान में रखते हुए की है। इस आधार पर, गेहूं का मार्जिन 105%, सरसों का 98%, मसूर का 89%, चने का 60%, जौ का 60%, और सूरजमुखी का 50% तय किया गया है। इससे सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी लागत से काफी अधिक मूल्य मिले।
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