केंचुआ खाद, जिसे वर्मीकम्पोस्ट के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय किसानों के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की है। केंचुआ खाद के उत्पादन और इसके अनेकों फायदों के चलते इसे खेती के लिए वरदान माना जा रहा है।
केंचुआ खाद क्या है?
केंचुआ खाद को केंचुओं द्वारा जैविक पदार्थों को खाने और उनके मलमूत्र से प्राप्त की गई खाद के रूप में जाना जाता है। इसमें आवश्यक नाइट्रोजन, सल्फर, पोटाश, सूक्ष्म पोषक तत्व, एंजाइम और विकास हार्मोन शामिल होते हैं, जो फसलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
केंचुआ खाद बनाने की विधि
इस खाद को तैयार करने के लिए 4 फीट लंबा, 4 फीट चौड़ा और 3 फीट ऊंचा गड्ढा तैयार किया जाता है। इसमें 15-25 दिन पुराना गोबर भर दिया जाता है और इसके ऊपर 100-200 केंचुए छोड़े जाते हैं। गोबर के ऊपर 5-15 सेमी सूखी पत्तियां डाल दी जाती हैं। इस यूनिट में नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जाता है और 45 प्रतिशत नमी बनाए रखना आवश्यक होता है। लगभग 40-50 दिनों के बाद, वर्मीकम्पोस्ट तैयार हो जाता है। गड्ढे को सीधी धूप, बारिश और बर्फ से बचाने के लिए आप इसे छप्पर की छत से ढक सकते हैं। जब खाद पकी हुई चाय की पत्तियों जैसी दिखने लगे, तो समझिए खाद तैयार है।
केंचुआ खाद के फायदे
- केंचुआ खाद के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता और उसकी भौतिक स्थिति में सुधार होता है। इसके इस्तेमाल से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ और लाभकारी बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ती है, जिससे फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है।
- केंचुआ खाद पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और उन्हें बीमारियों एवं कीटों से बचाती है। यह मिट्टी की संरचना और स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है और जल धारण क्षमता को भी बढ़ाती है।
- केंचुआ मिट्टी में मौजूद फसल अवशेषों को मिट्टी के अंदर गहराई तक ले जाता है। वे सुरंग में इन अवशेषों को खाते हैं और उन्हें खाद में बदल देते हैं। वे रात में अपना मलमूत्र जमीन की सतह पर छोड़ देते हैं, जिससे मिट्टी की वायु-संचार क्षमता बढ़ जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार केंचुआ हर साल 200 से 250 टन मिट्टी पलटता है, जिसके परिणामस्वरूप 1 से 5 मि.मी. मिट्टी जुड़ जाती है। हर साल सतह बढ़ती है।
- रासायनिक खाद की तुलना में केंचुआ खाद का इस्तेमाल पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है। इसके उत्पादन और उपयोग से रासायनिक खाद की मांग कम होती है, जिससे देश के आर्थिक पहलू को मजबूत करने में मदद मिलती है।
- केंचुआ खाद में मनुष्य और पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले सूक्ष्म जीवों की संख्या सामान्य खाद और रासायनिक खाद की तुलना में कम होती है।
- केंचुआ खाद का उत्पादन और भंडारण सामान्य खाद की तुलना में काफी सरल है। इसके इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है।
- केंचुआ खाद के इस्तेमाल से मिट्टी में सुधार होता है और उर्वरता भी बढ़ती है। इसके साथ ही, बेहतर मिट्टी में केंचुओं की संख्या भी बढ़ती है।
रोजगार के अवसर
केंचुआ खाद का उत्पादन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा कर सकता है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी लाभ होता है और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद मिलती है।