कम खर्चे में करें फसल पर लगने वाले हानिकारक कीट और रोगों से बचाव, जानिए तरीकों के बारे में

कम खर्चे में करें फसल पर लगने वाले हानिकारक कीट और रोगों से बचाव, जानिए तरीकों के बारे में
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Kisaan Helpline

Agriculture Sep 02, 2022

अंकुरित पौधों की कतार के मध्य व पौधों पर 10 किलो गोवंश का गोबर, 2 किलो गुड, पांच लीटर गौमूत्र, 5 किलो दाल / खली व दो ग्राम खमीर (इस्ट) पावडर व पर्याप्त पानी का घोल टंकी या 50 लीटर के प्लास्टिक ड्रम में बनाएं। दो-तीन दिन के बाद इसे छान कर 0.4 है, क्षेत्र में छिड़कें। जीवाणु 'माइक्रोब' की संख्या भूमि में जड़ों के आसपास बढ़ने व अवशोषणीय पौध पोषण तेज गति से मिलने पर पौधे शीघ्रता से बढ़ते हैं व साथ में निरोधक शक्ति का विकास भी होता है।

दो सप्ताह की फसल दो कि.ग्रा. निम्बोली की गरी को कूट कर पानी में भिगोकर एक-दो दिन रखें। इस अर्क को कपड़े से छान कर फसल की 15 दिन की अवस्था में 200 ली. पानी में मिलाकर छिड़कने से कीटों का प्रकोप कम होता है, क्योंकि कड़वाहट के कारण अरुचिकर, वह खाने योग्य नहीं रहने से दूर रहते हैं।

तीन चार सप्ताह की फसल गुड 2 कि. ग्रा., मुर्गी के अण्डे 6, छाछ (मट्ठा) 5 लीटर व खमीर सूखा 2 ग्राम (या जलेबी का आथा 100 ग्राम)। गुड़, अण्डे व खमीर को 10 लीटर पानी में एक दिन रखें। इसे छान कर पर्याप्त पानी के साथ पौधों व उनके आस-पास की मिट्टी पर छिड़काव करें। यह घोल 0.4 हेक्टेयर फसल के लिए पर्याप्त होगा। इससे कोमल त्वचा के कीटों का नियंत्रण होता है। यह छिड़काव मित्र कीटों के द्विगुणन-वृद्धि के साथ अंडो के एलब्यूमिन - अमीनोस पौधों के विकास में टॉनिक का कार्य करते हैं।

चार-पांच सप्ताह की कपास फसल फसल की इस अवस्था में कोपलों में चितीदार इल्ली उपरी तने में सुरंग बनाती है, जिससे अग्र भाग मुरझाने लगता है सुरंग में रहने वाली इल्ली को ऊंगली से उपर से दबा कर मार दें।

पक्षियों को बैठने हेतु 0.4 हे, खेत में 8-10 'पर्चा आकार की लकड़ी खेत में लगाएं। पक्षियों को बैठने की जगह मिलती है, जो नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों को पकड़ कर खा जाते हैं। उल्लू खाता है चूहा व मूषक को जो आगे के दो दांत से कुतर कर खाते है।

चार-पांच सप्ताह की फसल कई प्रकार के पौधों की पत्तियाँ, टहनियां, फल-बीज में बायो पेस्टीसाइड - जैव कीटनाशक क्षमता रहती है। 2 किलो पत्तियाँ, नीम / सीताफल / जेटरोफा-रतनजोत / अक्वा / धतूरा / बिल्ली पद्धा / बेल पत्र / सुर्जना / एमेरन्थस / बेशरम / शहतूत / चन्दन / अंगूर / टिकटोना ग्रेन्डिस सागवान / नारियल / गुडहल / बोगनविलिया, अखरोट इत्यादि की, कूटकर दो-तीन दिन पानी में डूबो कर रखें। इसे छान लें। 3-4 पत्तियों का एक साथ अर्क लेकर उसमें पर्याप्त पानी मिलाकर छिड़काव करें। कोमल शरीर वाले कीटों, जैसे रस चूसक कीटों को नियंत्रित करता है। इल्लियाँ बाल्यावस्था (प्रथम से तृतीय इंस्टार की) में नियंत्रित होती हैं। यह घोल पर्यावरणीय मित्र कीटों को सुरक्षित रखता है।

40-50 दिन की फसल : इल्लियों का प्रकोप नियंत्रित रहे उस हेतु आधा किलो लहसुन व एक किलो हरी मिर्च पीसकर रातभर रखें व छान लें व 200 मि.ली. तरल गंधक सल्फीन या सल्फीन गोल्ड मिलायें। इसे पर्याप्त पानी के साथ मिलाकर 0.4 हे. में छिड़काव करें। यह बाल्यावस्था की इल्लियों में जलन- तिलमिलाहट के कारण नियंत्रित करती है, मारती हैं। पूर्ण जैव नियंत्रण उपाय के मॉडयूल में विभिन्न उपाय अपनाने पर सम्मिलित उपयोग से कीड़े व रोगों के नियंत्रण में वृद्धि होती है।

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