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बांका: अब काला नमक चावल सुधारेगा बीमार लोगों की सेहत को। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने तीन एकड़ में इसकी खेती की है। अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले साल से इसकी खेती 50 एकड़ से अधिक भूमि में की जाएगी। फिलहाल प्रशिक्षण के तौर पर केविके कैंपस में एक एकड़ व शंभूगंज प्रखंड के रूतपैय गांव में दो एकड़ जमीन पर प्रायोगिक तौर पर काला नमक धान की खेती की गई है। काला नमक धान मुनाफे के साथ ही सेहत के लिए भी काफी लाभकारी है। ये पोषक तत्वों का अच्छा स्त्रोत है। जो कुपोषण के साथ ही कई खतरनाक बीमारियों से भी निजात दिलाने में कारगर है। इसके उत्पादन में यहां का मौसम अनुकूल माना जाता है। अभी करीब तीन एकड़ में लगे काला नमक धान के फसल यहां लहलहा रहे हैं। इसके उत्पादन में भी आशाजनक सफलता मिलने के आसार हैं। फसल उत्पादन की कसौटी पर खरा उतरने के बाद अगले मानसून से इसकी खेती का दायरा बढ़ाया जाएगा। इसके लिए केविके किसानों को बीज मुहैया कराने के साथ ही तकनीकी सहयोग भी देगी।
पारंपरिक फसलों का है पुराना किस्म :
काला नमक धान पारंपरिक फसलों का पुराना किस्म है। जिसकी खेती राजा-महाराजाओं के लिए की जाती थी। इसका उत्पादन दर अन्य धान के फसलों की तुलना में करीब तीस फीसद तक कम है। जिससे इसके धान की कीमत 200 से 250 एवं चावल की कीमत 400 से 500 रुपए प्रति किलो है। हालांकि, ये बासमति की तुलना में अधिक सुगंधित व अधिक पैदावार देता है। एक हेक्टेयर में बासमति की उपज 20 से 25 क्विंटल है। जबकि काला नमक धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 30 से 35 क्विंटल तक होता है।
गुणकारी काला नमक चावल के फायदे :
काला नमक चावल को कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए रामबाण माना जाता है। इसमें पोटैशियम की मात्रा काफी अधिक होती है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन बी एवं आयरन व एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी अधिक होती है। जो अन्य किसी चावल में नहीं पाई जाती है। इसके सेवन से कई तरह की बीमारियों के अलावा कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी एवं डायबिटीज व अल्जाइमर जैसी बीमारियों से भी निजात मिल सकता है। इसमें मौजूद फाइबर शरीर को मोटापा व कमजोरी से बचाता है।
कोट जिले में काला नमक धान के उत्पादन की संभावना है। इसके लिए अभी प्रायोगिक तौर पर करीब तीन एकड़ में प्रत्यक्षण किया जा रहा है। इसकी सफलता के बाद इसके उत्पादन का दायरा बढ़ाया जाएगा।
डॉ संजय मंडल, कृषि वैज्ञानिक, केविके
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