मशरुम की खेती का प्रचलन भारत में करीब 200 सालों से है। हालांकि भारत में इसकी व्यावसायिक खेती की शुरुआत हाल के वर्षों में ही हुई है। मशरूम कवक वर्ग का एक पौधा है। इसका कवक जाल ही इसका फलभाग होता है जिसे मशरूम कहा जाता है। कुछ लोग मशरूम का अर्थ कुकुरमुत्ते से लगाते हैं। यह गलत है। वास्तव में कुकुरमुत्ता तो मशरूम की ही एक विषैली जाति होती है तो खाने योग्य नहीं होती। बीजों द्वारा उगाया गया मशरूम सौ फीसदी खाने योग्य होता है। आज इसकी गणना भरपूर विटामिनों वाली सब्जियों में की जाती है। हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान (शीतकालीन महीनों में) जैसे राज्यों में भी मशरुम की खेती की जा रही है।