अधिकतर किसान सरसों की बुवाई सामान्य तरीके से करते हैं, लेकिन श्रीविधि से बुवाई कर ज्यादा और अच्छा उत्पादन पा सकते हैं। इस विधि से बुवाई करना ज्यादा कठिन भी नहीं होता है, अभी अक्टूबर से नवंबर तक किसान सरसों की बुवाई कर सकते हैं।
बीज का चुनाव: इस विधि से बुवाई करने में किसी खास किस्म के बीज की जरूरत नहीं होती है, किसान अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित बीज का ही चयन करें। नए बीज का प्रयोग करें।
बीज की मात्रा: बीज की मात्रा के विषय में ध्यान रखे की यदि अधिक दिनों की किस्म है तो बीज की मात्रा कम लगेगी और यदि कम दिनों की किस्म है तो बीज की मात्रा ज्यादा लगेगी।
बीज उपचार: बीज के मात्रा के हिसाब से दोगुना पानी लें। बीज को गुनगुने पानी में डालकर हल्के और ऊपर तैर रहे बीजों कों बाहर कर दें। इसके बाद गुनगुने पानी में और अच्छे बीज में बीज की मात्रा से ठीक आधी मात्रा में गोमूत्र, गुड़ और वर्मी कम्पोस्ट मिलाकर छह से आठ घंटे तक के लिए छोड़ दें। बीज को तरल पदार्थ से अलग कर दो ग्राम बाविस्टीन या कार्बेण्डाजिम दवाई मिलाकर सूती कपड़ा में बांधकर पोटली बनाकर अंकुरित होने तक के लिए 12 से 18 घंटे के लिए रख दें। स्थानीय मौसम के हिसाब से समय कम अधिक लग सकता है। अंकुरित बीज को नर्सरी में 2गुणा2 इंच की दूरी में आधा इंच गहराई में डाल दें।
खेत की तैयारी: किसान जिस खेत में सरसों की रोपाई कर रहे हो उस खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। यदि खेत सूखा है तो सिंचाई (पलेवा सिंचाई) करके जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें और उपलब्ध खरपतवार को हाथ से ही निकालकर खेत से बाहर कर दें।