पिछले कई दिनों से चल रही तेज हवाओं के साथ शीतलहर के कारण खेत खलियान पर गहरा प्रभाव पड़ा है। कड़ाके की ठंड के कारण किसानों के सामने गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। पिछले कई दिनों से कड़ाके की ठंड, रात में कोहरा और पाला पड़ने से फसलों को काफी नुकसान हुआ है। पाला पड़ने से अन्नदाता परेशान हैं। फसलों पर कड़ाके की ठंड व पाला पड़ने से खेत खलिहान पर गहरा असर पड़ा है।
पाले से प्रभावित अफीम की फसल
मंदसौर जिले के कई क्षेत्रों में पिछले दिनों हुई कड़ाके की सर्दी के चलते पाला पड़ने से फसलें बर्बाद हो गई हैं। पाले का बुरा असर खेतों में खड़ी चना, अरहर, मसूर, चिया, मक्का सहित सब्जियों की फसलों पर सबसे ज्यादा पड़ा है। मंदसौर जिले के गांव धुंधडका, धमनार, कुंचडोद, दलौदा, भावगढ़, नगरी, चिरमोलिया, करजू, गुराडिया लालमुहा, फतेहगढ़ आदि गांवों में फसलों पर बर्फ जमने की खबर सामने आई है। तापमान गिरने से गेहूँ, चना, मसूर, रायड़ा, मेथी, धनियां, अफीम, अलसी, कलोंजी, ईसबगोल,मटर, टमाटर, आलू आदि फसलों में 40-50 प्रतिशत नुकसान की खबर हैं।
पाले से प्रभावित चिया की फसल
प्राकृतिक आपदाओं के चलते पिछले लंबे समय से फसलें बर्बाद हो रही हैं। पिछली फसल के दौरान अधिक वर्षा ने फसलों को बर्बाद कर दिया था, इस बार भी किसान भाइयों ने बड़ी मुश्किल से खाद बीज जुटाकर समय पर फसलों की बुआई की थी। इस समय चना, मसूर, अफीम और अरहर की फसल काफी अच्छी थी, मगर उसे पाले ने बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है।
पाले से फसलों की सुरक्षा के उपाय
- खेत में धुआँ : यदि पाले का पूर्वानुमान हो तो आधी रात को सूखी घास, पुआल आदि में आग लगाकर पाले से फसलों को बचाया जा सकता है ! धूम्रपान करने से खेत में उचित गर्मी बनी रहती है और फसल के तापमान में कोई गिरावट नहीं आती है। पुआल का ढेर बनाकर उसमें आग इस तरह लगाओ कि पूरे खेत में फसलों के ऊपर धुएँ की एक पतली परत बन जाए!
- सिंचाई पाले का पूर्वानुमान होने पर हल्की सिंचाई करने से भूमि में एक सप्ताह तक गर्मी व नमी बनी रहती है तथा फव्वारा पद्धति से सिंचाई करने से अधिक लाभ होता है !
- फसलों में सल्फ्यूरिक एसिड का छिड़काव 0.1 प्रतिशत यानि 400 मिली. सल्फ्यूरिक एसिड 400 लीटर पानी/एकड़ का छिड़काव लगभग 2 सप्ताह तक फसल को पाले से बचाता है!
- नर्सरी व नकदी सब्जियों की फसल को टांट, पॉलिथीन व पुआल से ढक कर सुरक्षित किया जा सकता है !
- पाला पड़ने वाली फसलों में रिकवरी के लिए प्रति एकड़ 100 लीटर पानी में एक किलो 19:19:19 या म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) या 2 किलो यूरिया का छिड़काव करें।