जानिए केंचुआ क्यों जरुरी है, आपकी जैविक खेती के लिए

जानिए केंचुआ क्यों जरुरी है, आपकी जैविक खेती के लिए
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Kisaan Helpline

Agriculture Aug 13, 2019

केंचुआ एनिलिडा वर्ग का रात्रिचर जीव है। अत : यह अंधेरे व रात्रि में अधिक क्रियाशील रहता है। यह तापमान के अनुसार बरसात में 30 - 50 सें.मी. गहराई पर तथा सर्दियों में 100 से 130 सें . मी . गहराई तक भूमि में रहता है। साधारणतया यह 10 वर्षों तक जीवित रहता है। इसकी प्रजनन क्षमता 2 से 2.5 वर्ष तक ही रहती है। 6 माह बाद इससे कोकून प्राप्त होने लगता है। एक कोकून से 2 - 3 सप्ताह में एक वयस्क बाहर निकलता है। 6 माह में एक जोड़े केंचुए से लगभग 100 कोकून प्राप्त किये जा सकते हैं। ये धनिया के बीज के आकार के 3 - 4 मि.मी. लम्बे, 3 - 10 मि. ग्रा. वजन के प्रारंभ में सफेद तथा बाद में भूरे कत्थई रंग के हो जाते हैं। 

इन 800 से 1000 केंचुओं का वजन लगभग एक कि.ग्रा. तथा कीमत लगभग 200 से 300 रुपये प्रति कि. ग्रा. या प्रति एक हजार केंचुए होती है। अच्छी वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिये लगभग 25 - 300 सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। साधारणत: एक केंचुआ अपने वजन के बराबर कार्बनिक पदार्थ प्रतिदिन खाता है। यह 25 सें.मी. प्रति मिनट की गति से चलता है।

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