आजकल खेत में उपज बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के उर्वरकों का उत्पादन और उपयोग किया जा रहा है, जैसे यूरिया, डी.ए. पी. पोटाश आदि। इस प्रकार की खाद में कीटों के लिए विषैले कीटनाशक भी होते हैं। इससे उपज तो बढ़ जाती है लेकिन खेत बंजर और कमजोर हो जाते हैं।
केंचुआ खाद एक ऐसी खाद है जो खेत को उपजाऊ बनाती है। केंचुए को किसानों का मित्र कहा जाता है। एक विशेष प्रकार के केंचुआ (जोकती) द्वारा गाय का गोबर, गली के सड़े हुए पत्ते, जलकुंभी, अन्य जैविक पदार्थ आदि खाने के बाद उत्पन्न मल को "केंचुआ खाद" या "केंचुआ कम्पोस्ट" कहा जाता है। इस केंचुआ खाद में आवश्यक मात्रा में सूक्ष्म जैविक पदार्थ, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्व, एंजाइम और वृद्धि हार्मोन आदि होते हैं, जो फसलों के लिए आवश्यक होते हैं। यह सभी प्रकार के पौधों के लिए पूर्ण संतुलित आहार है। केंचुए की खाद बनाने में जो विशेष प्रकार की जोकटी का प्रयोग होता है उसे अंग्रेजी में "एमिनिया फोएटिडा" कहते हैं।
केंचुआ खाद बनाने की विधि (Method of making Earthworm Compost)
वर्मीकम्पोस्ट बनाने के स्थल को धूप और भारी बारिश से बचाने के लिए बांस और पुआल से बनी साधारण छत का होना जरूरी है। छत का आकार सड़ने वाली सामग्री की मात्रा पर निर्भर करता है। कम्पोस्ट क्यारी की चौड़ाई 4 फुट से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्यारी की लम्बाई आवश्यकता के अनुसार निर्धारित की जा सकती है। सड़ने वाली सामग्री के ढेर की ऊंचाई 2 फीट होनी चाहिए लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे और ऊंचा बनाया जा सकता है। केंचुआ खाद बनाने के लिए आवश्यक सामग्री 25 केंचुए प्रति वर्ग फुट की दर से होनी चाहिए। सूखी या हरी सामग्री को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर भी गाय के गोबर में मिलाया जा सकता है। गाय के गोबर और कार्बनिक पदार्थ का अनुपात (50:50) बांटा जा सकता है, लेकिन अच्छे परिणाम के लिए जैविक पदार्थ के 3 भाग मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया के पहले चरण में जमीन को समतल कर उस पर पानी छिड़क कर सड़ने वाली सामग्री को छत के नीचे रखा जाता है।
दूसरे चरण में धीरे-धीरे सूखने वाली 2 से 3 मोटी सामग्री जैसे नारियल के छिलके, बांस के छोटे-छोटे टुकड़े, ईख या केले के पत्ते, लकड़ी या धान की पुआल, पुआल आदि की क्यारी तैयार की जाती है। दो बेड के बीच करीब डेढ़ फीट की जगह होनी चाहिए ताकि काम करने में आसानी हो।
तीसरे चरण में, आधा या पूरा सड़ा हुआ गोवर या गोबर गैस से निकली हुई स्लटी की लगभग 2 से 3 इंच मोटी परत बेड के ऊपर बिछा दी जाती है ताकि सड़ने के समय अत्यधिक गर्मी उत्पन्न न हो। सड़ने वाली सामग्री में नमी की कमी होने पर हर सतह पर पानी का छिड़काव करना जरूरी होगा। यह सतह केंचुओं को अत्यधिक गर्मी से बचाती है। केंचुए इस सतह को विपरीत परिस्थितियों में भोजन के रूप में उपयोग करने के साथ ही इसे अस्थायी आवास भी बना लेते हैं।
चौथे चरण में 25 केंचुआ प्रति वर्ग फुट की दर से दूसरी सतह के ऊपर रखा जाता है। केंचुए सामान्य रूप से रखने के कुछ ही देर बाद दूसरी सतह के अंदर प्रवेश कर जाते हैं क्योंकि वे खुले, धूप और अत्यधिक गर्मी में रहना पसंद नहीं करते हैं।
पाँचवे चरण में आधा-आधा या तीन-चौथाई 7-8 दिन पुराना गोबर और एक चौथाई कार्बनिक पदार्थ के मिश्रण को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर या सुखाकर तीसरी सतह के रूप में लगभग 6 से 8 इंच मोटा फैला देना चाहिए।
छठे चरण में रसोई आदि के निषिद्ध वस्तुओं की एक पतली और अंतिम परत तीसरी सतह पर फैला देनी चाहिए।
सातवें चरण में, आखिटी परत के ऊपर 4 फुट एवं पूरी क्यारी के समान लंबा खुला हुआ जूट का बोरा ढक दें। जूट के थैले उपलब्ध न होने पर ढेर को अन्य सूखी सामग्री जैसे पुआल, पेड़ के पत्ते आदि से भी ढका जा सकता है। बोरे के ऊपर नियमित रूप से हल्का पानी छिड़कना आवश्यक है। पानी का छिड़काव मौसम पर निर्भर करता है। गर्मियों में दो बार और सर्दियों में एक बार जरूरी है।
बिछौना (बेड) के किनारे
वर्मी बेड के किनारे को ताजी खरपतवार और हरे पौधों के छोटे-छोटे टुकड़ों से ढक देना चाहिए ताकि बाहरी कीड़ों का प्रवेश न हो और खाद बनाने के लिए लाए गए केंचुओं का निकास हो और चार से छह सप्ताह के भीतर केंचुआ सुरक्षित रहे। केंचुआ खाद तैयार की जाती है। तैयार खाद का रंग काला और वजन में बहुत हल्का होता है। इसके बाद हर तीन से चार सप्ताह में केंचुओं की खाद तैयार की जाती है। जब वर्मीकम्पोस्ट तैयार हो जाए तो 2 दिन पहले बोरी के ऊपर पानी का छिड़काव बंद कर देना चाहिए। केवल चौथी परत ही खाद में परिवर्तित होती है। पहली परत के साथ कभी छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। दो से तीन घंटे के भीतर केंचुआ निचली परत में प्रवेश कर जाता है और ऊपरी परत पर कोकून सहित केंचुआ खाद तैयार पाया जाता है। अब तैयार केंचुआ खाद को ऊपरी परत से निकालकर बोरे में भरकर करीब एक साल तक छाया में रखा जा सकता है। केंचुए की खाद को निकालने के बाद पुनः ऊपर बताई गई विधि से लगातार कम समय में खाद तैयार की जा सकती है।