Organic Farming: जैविक या ऑर्गेनिक खेती को हम स्वदेशी खेती भी कहते हैं। मुख्य रूप से जैविक खेती प्रकृति और पर्यावरण को संतुलित रखते हुए की जाती है। इसके अंतर्गत फसलों के उत्पादन में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसकी जगह गाय के गोबर की खाद, कम्पोस्ट, बायोफर्टिलाइजर, फसल अवशेष, फसल के ठूंठ और प्रकृति में उपलब्ध खनिजों का इस्तेमाल किया जाता है। फसलों को विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाने के लिए प्रकृति में उपलब्ध मित्र कीटों, जीवाणुओं एवं जैविक कीटनाशकों का हानिकारक कीटों एवं रोगों से बचाव किया जाता है। आज के समय में किसानों द्वारा किसी भी प्रकार की फसल के उत्पादन में तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है, जिससे उत्पादन की मात्रा में वृद्धि होती है, लेकिन इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति लगातार घटती जा रही है। आए दिन लोग नई-नई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। साथ ही पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। हालांकि सरकार की ओर से जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।
जैविक खेती की प्रक्रिया
जैविक या जैविक खेती करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के अनुसार कार्य करना आवश्यक है, जो इस प्रकार हैं-
मृदा परीक्षण: यदि आप जैविक खेती करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाना चाहिए, जिसे आप किसी भी निजी लैब या सरकारी कृषि विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में करवा सकते हैं। इससे किसान को खेत की मिट्टी से संबंधित जानकारी मिल जाती है कि मिट्टी में किस तत्व की कमी है, जिससे किसान उपयुक्त उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग करके अपने खेत को अधिक उपजाऊ बना सकता है।
जैविक खाद बनाना: जैविक या जैविक खेती करने के लिए आपके पास पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद होनी चाहिए। इसके लिए आपको जैविक खाद बनाने की जानकारी होना बहुत जरूरी है। जैविक खाद यानी ऐसी खाद, जो जानवरों के मल यानी गोबर और फसलों के अवशेषों से बनती है। वेस्ट डिस्पोजर की मदद से आप 3 से 6 महीने में जैविक खाद तैयार कर सकते हैं।
जैविक खेती के लिए जैविक खाद: जैविक खाद को अलग-अलग तरीके से तैयार किया जाता है, जैसे गाय के गोबर की खाद, हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट आदि।