जानिए आपके फायदे की खबर, बूंद-बूंद जल का इस्तेमाल, अपनाएंगे माइक्रो इरिगेशन विधि

जानिए आपके फायदे की खबर, बूंद-बूंद जल का इस्तेमाल, अपनाएंगे माइक्रो इरिगेशन विधि
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Kisaan Helpline

Agriculture May 31, 2019

किसान जब में अपने खेत में सब्जी की खेती करता है तो उसे ज्यादा पानी की जरुरत होती है, अधिक मात्रा में पानी सब्जी की खेती के लिए बहुत ज्यादा जरुरी होता है, लेकिन आगे की जानकारी पढ़कर शायद ये बात आपको गलत लगे, अब से अगर आप चाहे तो सब्जी की खेती में अधिक पानी की जरूरत नहीं होगी। लौकी, कद्दू, टमाटर, पालक, खीरा, ककड़ी, करेला, शिमला मिर्च व गोभी समेत अन्य सब्जियों की खेती माइक्रो इरिगेशन विधि से की जाएगी, इस विधि की द्वारा एक फायदा तो ये होगा की बहुत सारे पानी की जरुरत नहीं पड़ेगी, और पानी का दुरूपयोग नहीं होगा। ताइवान व थाईलैंड के विश्व सब्जी केंद्र की यह तकनीक अब चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) अपने खेतों में इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है।

आपको बता दे की सीएसए के पॉलीहाउस व शाक भाजी विभाग के खेतों में माइक्रो इरिगेशन यूनिट लगाए जाने की रूपरेखा बना ली गई है। जानकारी के मुताबिक इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए ताइवान स्थित विश्व सब्जी केंद्र के उप महानिदेशक शोध डॉ. डेविड जॉनसन व ईस्ट एंड साउथ एशिया केंद्र बैंकॉक के क्षेत्रीय निदेशक डेल्फिन लोरेंस के साथ अप्रैल के अंत में करार किया है। सीएसए के संयुक्त निदेशक शोध डॉ. डीपी सिंह ने बताया कि ताइवान के विश्व सब्जी केंद्र में माइक्रो इरिगेशन के जरिए टमाटर, बैगन, हरी मिर्च, थाईलैंड में लौकी, कद्दू, खीरा, करेला की खेती करके पानी का पूरा इस्तेमाल किया जाता है।

यह है माइक्रो इरिगेशन विधि

अगर आप संकोच में है की ये विधि क्या है तो आइये हम आपको बताते है की यह सिंचाई की ऐसी तकनीक है, जिसमें पानी सीधे जड़ों में पहुंचता है, यानि पानी का पूरी मात्रा में पौधे की जड़ो में सिंचित होता है। सब्जियों की खेती करने के लिए बीज बोने से पहले मल्चिंग (एक तरह की पॉलीथिन) बिछाते हैं और जितनी दूरी में पौधा लगना है उतनी दूरी में छेद कर देते हैं। इन्हीं छेदों में सब्जी के बीज बोने के अलावा उसकी पौध लगाई जाती है। इन पौधों की जड़ों में पानी पहुंचाने के लिए ड्रिप को एक माइक्रो ड्रिप से जोड़ते हैं। एक पतली सिरिंज जड़ों तक पानी पहुंचाती है। सिंचाई की इस पद्धति में बूंद-बूंद जल का इस्तेमाल होता है, जिससे उसकी खपत बहुत कम हो जाती है।

किसान की आय दोगुना करने में होगा इस्तेमाल

माइक्रो इरिगेशन तकनीक का इस्तेमाल किसानो की कमाई में और भी ज्यादा सहायक सिद्ध होगा। इस तकनीक का अध्ययन करके सीएसए के छात्र देश के किसानों को उसका प्रशिक्षण देंगे। यह प्रशिक्षण सीएसए के खेतों के अलावा किसानों को उनके गांव में भी दिया जाएगा। किसानों की आय दोगुना करने में मदद करेंगे।

नए सत्र से शुरू होगा शैक्षणिक आदान-प्रदान

ताइवान का विश्व सब्जी केंद्र सीएसए के छात्रों के लिए कार्यशाला करेगा। शाक भाजी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. राजीव जल्द ही ताइवान रवाना होंगे जबकि पीएचडी व एमएससी के छात्रों को छह माह के प्रशिक्षण के लिए वहां भेज जाएगा।

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