खेत में उगाई गई धान की पराली, खेत से लगभग 40 प्रतिशत नाइट्रोजन, 30 प्रतिशत फॉस्फोरस, 80 प्रतिशत पोटाश व 40 प्रतिशत सल्फर की मात्रा को अवशोषित करती है जिसके कारण उसे खेत में गलाने पर कितना ऑर्गेनिक मैटर, कार्बन, नाइट्रोजन, फोस्फोरस, पोटाश, सल्फर तथा अन्य तत्व जमीन को मिल सकते है, आप जरा उसकी कीमत का अंदाजा लगा सकते है।
अधिकतर किसान भाई कहते हैं कि पराली को खेत में गलाने में समस्या ज्यादा आती है। इसके लिए आप की बात बिल्कुल सही है क्योंकि धान की पराली में सेल्यूलोस, हेमिसेल्यूलोस, लिग्निन व सिलिका की मात्रा अधिक होती है, जिसकी वजह से ये सख्त होती है और इसे खेत मे गलाने में किसानो को काफी दिक्कत आती है।
तो जानिए इसको गलाने का सही समाधान क्या है, धान की हार्वेस्टिंग के बाद खेत में रोटावेटर चलाकर धान के खेत में पानी लगा दो, और उसके बाद एक माइक्रोबियल प्रोडक्ट है ( जो ऑर्गेनिक है केमिकल नही है) , इसकी 5 लीटर मात्रा को 10 किलो यूरिया के साथ 300 से 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव कर देंगे, उसके बाद यानि की लगभग 7 से 8 दिन बाद दोबारा रोटावेटर चला दें, इससे अगले 7 से 8 दिन यानी कुल 15 दिन में उस खेत की पराली लगभग पूरी तरह से गल जाएगी।
इस प्रकार जमीन को क्या लाभ होते है उनको जाने-
1. ऐसा करने पर जमीन के अंदर कार्बन की मात्रा बढेगी, जिसके कारण आप के खेत में कार्बन नाइट्रोजन का अनुपात सुधर जायेगा।
2. आपके खेत की मिट्टी में कुछ बदलाव दिखेंगे जैसे की भुरभुरी हो जाएगी।
3. खेत की जमीन की उर्वरा शक्ति में वृद्धि भी होगी।
4. अगली फसल जिसकी आप खेती करने वाले है उसमे फ़र्टिलाइज़र की मात्रा भी 30% तक कम कर सकते हो।