रासायनिक कीटनाशकों के लगातार किए गए प्रयोग से हानिकारक कीटों में इनके लिए प्रतिरोधक क्षमता बढती जा रही है और वे मरते नहीं है। इसके विपरीत प्रकृति में पाये जाने वाले लाभकारी परभक्षी कीटों पर भी प्रतिकूल असर हो रहा है। अत: वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस बात की आवश्यकता है कि शुद्ध फलों और सब्जियों का उत्पादन लेने के लिए कीट नियांत्रिकी प्रभावी व कम खर्चीली विधियाँ अपनायी जाएँ। इनमें प्रमुख एवं प्रभावी विधि है – नीम के पत्तों व निम्बोली से तैयार घोल से कीट नियंत्रण। यह एक आसान व कम खर्चीली विधि है साथ ही किसान भाई आसानी से यह कीटनाशक घर पर ही बना सकते हैं। इसका सिर्फ समय पर छिड़काव करना पड़ता है।
नीम की पत्ती एवं निम्बोली से घोल बनाने की विधि
घोल तैयार करने के लिए 1 किलोग्राम नीम की पत्तियां या निम्बोली की गुठली को चटनीनुमा बारीक़ पीस लें। इसके बाद इसे कपड़े की पोटली में बांधकर पानी में डुबोकर रात भर रखें व दुसरे दिन सुबह रस निचोड़ने के बाद गुद्दे को फेंक दें या खाद बनाने के लिए प्रयोग में लें | इस रस को 10 लीटर पानी में मिला दें। इस प्रकार 10 प्रतिशत का घोल तैयार हो जायेगा। इस घोल का आवश्यकतानुसार फसल पर समय-समय पर छिड़काव करके कीटों से बचायें।
फलीछेदक कीट के नियंत्रण के लिए फूल आने से पहले छिड़काव शुरू करें। यह छिड़काव 10 – 15 दिनों के अंतराल पर फसल पर करते रहें। जब तक फल आ रहे हों, मिट्टी में पाये जाने वाले हानिकारक कीटों जैसे – दीमक, सफेद लट एवं सूत्र कृमि जैसे सूक्ष्मजीवों के नियंत्रण में नीम खली का प्रयोग किया जाता है।
नीम की पत्ती या नीम खली के पानी के घोल में छिड़काव से पहले टमाटर के पौधों की जड़ों को कुछ देर तक डुबोने से सूत्र कृमियों की संख्या में काफी कमी आती है। टमाटर, बैंगन तथा मिर्च के खेत में नीम खली (1000 – 1200 किलोग्राम / हैक्टेयर) भूमि उपचार के रूप में प्रयोग करने से सूत्र कृमि का प्रभावी नियंत्रण होता है। इस प्रकार अगर किसान नीम पत्तियों व निम्बोली का प्रयोग कीट नियंत्रण में करेंगे तो फसल पर कीटों का प्रकोप होने से रोक सकते हैं। इसके छिड़काव से किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है।
नीम से बने कीटनाशक से फायदे
- सस्ता और बनाने में आसान।
- वातावरण को प्रदूषित नहीं करता।
- सभी हानिकारक कीटों के प्रति प्रभावी।
- विषरहित व सुरक्षित।
- चने की फसल में फलीछेदक के नियंत्रण के लिए निम्बोली के घोल के तिन छिड़काव जरुरी तथा पहला फसल उगने के 20 दिनों बाद , दूसरा 40 दिनों बाद तथा तीसरा छिड़काव फूल आने पर।
- सरसों में एफिड (माहू) के नियंत्रण नीम के बीज , पत्तियों, खली एवं तेल से किया संभव और 1 – 2 किलोग्राम निम्बोली पाउडर के छिड़काव से प्रति किवंटल गेहूं, ज्वार और मक्का का 4 से 12 महीनों तक ट्रोगोनेमा कीट से बचाव।
- 1 किलोग्राम निम्बोली पाउडर प्रति किवंटल चना, मटर एवं अन्य दलों में मिलाकर रखने पर 6 महीने से 12 महीने तक सभी संग्रहित अनाज के कीटों से सुरक्षा।
- इसके तेल (500 मि.ली. / किवंटल) को चने में मिलाकर रखने पर 6 महीने तक प्लस बीटल से सुरक्षा।
- नीम की 2 , 4, 8 और 10 प्रतिशत सुखी पत्तियों को गेहूं, ज्वार (अनाजों) में मिलाने पर सभी प्रकार के संग्रहित अनाज के कीटों से 135 दिनों तक अनाज की सुरक्षा।