वर्मीकम्पोस्ट क्या है? (What is Vermicompost?)
केंचुओं की मदद से कचरे को खाद में परिवर्तित करने हेतु केंचुओं को नियंत्रित वातावरण में पाला जाता है। केंचुओं द्वारा कचरा खाकर जो कास्ट निकलती है उसे एकत्रित रूप से वर्मीकम्पोस्ट कहते हैं। वर्मीकम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते हैं तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रिया- शील तथा सक्रिय रहते हैं। वर्मीकम्पोस्ट डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है।
वर्मीकम्पोस्ट की खाद से लाभ (Benefits of vermicompost compost)
- वह मृदा में सूक्ष्म जीवाणुओं को सक्रिय कर पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाता है।
- इसके उपयोग से भूमि के भौतिक एवं जैविक गुणों में सुधार होता है।
- वर्मी कम्पोस्ट की खाद के प्रयोग से फलों, सब्जियों, अनाजों के स्वाद, आकार, रंग एवं उत्पादन में वृद्धि होती है।
- इसका प्रयोग करने से भूमि उपजाऊ एवं भुरभुरी बनती हैं।
- वर्मी कम्पोस्ट की खाद नल ग्राही होती है। अतः बार बार पानी की आवश्यकता नहीं होती।
- ग्रामीण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर स्वरोजगार एवं आय में वृद्धि होगी व शहरी पलायन में कमी होगी।
- कम खर्च द्वारा अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
- पर्यावरण की स्वच्छता में सहायक होता है, क्योंकि यह कचरा, गोबर तथा फसल अवशेषों से तैयार किया जाता है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है।
- लगातार रासायनिक खादों के प्रयोग से कम होती जा रही मिट्टी की उर्वरकता को इसके उपयोग से बढ़ाया जा सकता है।
- इसके प्रयोग से सिंचाई की लागत में कमी आती है।
- वर्मी कम्पोस्ट मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि करता है तथा भूमि में जैविक क्रियाओं को निरंतरता प्रदान करता है।
- यह बहुत कम समय में तैयार हो जाता है।
वर्मी कम्पोस्ट का रासायनिक संगठन :- केंचुआ खाद का रासायनिक संगठन मुख्य रूप से उपयोग में लाये गये अपशिष्ट पदार्थों के प्रकार उनके स्त्रोत व निर्माण के तरीकों पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर इसमें पौधों के लिए आवश्यक लगभग सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा तथा सुलभ अवस्था में मौजूद होते हैं। केंचुआ खाद में गोबर की खाद की अपेक्षा 5 गुना नाइट्रोजन, 8 गुना फास्फोरस, 11 गुना पोटाश तथा 3 गुना मैग्नेशियम तथा अनेक सूक्ष्म तत्व संतुलित मात्रा में पाये जाते हैं।
वर्मीकम्पोस्ट की मात्रा :- वर्मी कम्पोस्ट पूर्णत: जैविक खाद हैं। इसके उपयोग से फसल की उपज के साथ-साथ रोग एवं कीटरोधी क्षमता भी बढ़ती है। जैव रासायनिक क्षमता में गुणोत्तर विकास होता है। वर्मीकम्पोस्ट उपयोग की मात्रा इस प्रकार है:- खाद को बुबाई के समय एकसार रूप से बुरक कर प्रयोग किया जाता है।
वर्तमान कृषि प्रणाली में उर्वरकों के अधिकाधिक प्रयोग से मृदा का प्राकृतिक स्वास्थ लगातार बिगड़ता जा रहा है, जिससे पैदावार में अनवरत कमी होती जा रही है। खेती के लिए आवश्यक खाद व कीट नाशक रसायनों की बढ़ती हुई खपत से कई जटिल समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं। रासायनिक उर्वरकों की लगातार बढ़ती कीमत से फसलों के उत्पादन व्यय में बढ़ोतरी हुई है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशी के अधिकाधिक प्रयोग से मृदा, पानी व हवा तीनों ही प्रदूषित हो रहे हैं। विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, जल की कमी, कूड़ा-करकट तथा कचरे की मात्रा में लगातार वृद्धि हो रही है जिससे मनुष्यों व पर्यावरण के समक्ष भयंकर स्थिति उत्पन्न हो रही है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए हमें वैकल्पिक एवं सुरक्षित (संसाधनों) उपायों का प्रयोग करना चाहिए। अतः इन सभी समस्याओं के निदान हेतु विभिन्न प्रकार की जैविक खादों जिनमें वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) का उत्पादन व उपयोग सबसे सरल एवं उत्तम है, जिसका उपयोग कर हम टिकाऊ खेती द्वारा कृषि एवं पर्यावरण को संतुलित कर सकते हैं।
पोषक तत्व मात्रा
- नाइट्रोजन - 0-51 - 1.61 प्रतिशत
- फास्फोरस - 0.19 - 1.02 प्रतिशत
- पोटैशियम - 0.15 - 0.73 प्रतिशत
- कैल्शियम - 2-4 प्रतिशत
- सोडियम - 0.02 प्रतिशत
- मैग्नेशियम - 0.46 प्रतिशत
- आयरन - 7563 पी.पी.एम.
- जिंक - 278 पी.पी.एम.
- मैगनीज़ - 475 पी.पी.एम.
- कॉपर - 27 पी.पी.एम.
- बोरॉन - 34 पी.पी.एम.
- एल्यूमिनियम - 7012 पी.पी.एम.