जैविक के इस्तेमाल को लेकर इंदिरा गांधी कृषि विवि शैक्षणिक गतिविधि आयोजित करने के अलावा बरसात के मानसून के समय में खासकर किसानों के लिए इस प्रकार की खेती को प्रमुख रूप में उपयोग में लाने की पहल करेगा। आपको बता दे की इस से किसानो को अनेको फायदे होंगे, जैविक खेती में किसान कई फसल लेने के साथ-साथ पैदावार और अपनी आय को भी बढ़ा सकते हैं। नरवा, गरुआ, घुरवा और बाड़ी संरक्षण अभियान के माध्यम से इसके अलावा राज्य शासन के द्वारा प्रदेश में खुशहाली लाने के लिए प्रथम चरण पर योजनाएं शुरू की जा चुकी हैं, जिसमें की हर संभव सहयोग देने के वास्ते विवि जल्द ही कई नई योजनाओं पर कार्य करने की भूमिका तैयार कर रहा है।
इसी विषय के चलते जिला पंचायत रायपुर के आला अधिकारी कृषि विवि में संचालित योजनाओं का अवलोकन कर चुके हैं। कृषि विवि के वैज्ञानिकों की मानें तो जिला पंचायत स्वसहायता समूह के माध्यम से आने वाले कुछ समय में महिलाओं को उद्यानिकी फसलों के साथ, छत पर सब्जी, जैविक खेती, खाद तैयार करना आदि कृषि कार्य में प्रशिक्षण देने की चर्चा भी की गई। इसके माध्यम से किसान रासायानिक दवाओं का उपयोग किए बिना ही उन्नत खेती कर सकते हैं। एक उत्पादन को और स्वस्थ्य फसल की उपज कर सकते है। सिर्फ इतना ही नहीं कम रकबा वाले कृषक भी बेहतर खेती को लेकर निराश होने के बजाय विश्वविद्यालय में संचालित समन्वित कृषि प्रणाली को कैसे अपनाएं, इससे सिर्फ एक नहीं, बल्कि विभिन्न तरह की सम्मिलित खेती कर सकते हैं। ज्ञात हो कि इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस योजना के सीमित रकबे में तहत पारंपरिक खेती के साथ बकरी पालन, पशुपालन, साग-सब्जियों की पैदावार की जा सकती है।