जैविक खेती की तरफ एक बढ़ते कदम का एक और उदाहरण - यहाँ पढ़े कैसे फायदेमंद है -

जैविक खेती की तरफ एक बढ़ते कदम का एक और उदाहरण - यहाँ पढ़े कैसे फायदेमंद है -
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Kisaan Helpline

Agriculture Apr 26, 2019

वर्तमान समय में हमे रोज खेती में नए-नए बदलाव और आविष्कारक खेती के उदहारण देखने को मिल रहे हैं। कई लोग इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं तो कई लोग़ इन तरीको से खेती को नए आयाम तक ले जा रहे है। ऐसा ही एक आदर्श उदहारण को साबित किया है, भारत के बेंगलुरू में रहने वाली 37 वर्षीय गीताजंलि राजामणि एक ऐसी महिला है जो खेतों में अलग-अलग तरीकों को अपनाकर अन्य किसानों की आमदनी को बढ़ाने का कार्य कर रही है। इन्होंने वर्ष 2017 में अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर स्टार्टअप कंपनी को शुरू किया था। इस कंपनी को उन्होंने 'फार्मिजन' नाम दिया। वर्तमान में गीताजंलि की कंपनी हैदराबाद और सूरत जैसी जगहों पर कार्य कर रही है।


जैविक खेती की हुई शुरूआत


गीताजंलि सबसे अच्छा कार्य यह कर रही है कि वह किसानों को साथ मिलकर पार्टनरशिप में खेती करना सीखा रही है। वह किसानों को साथ मिलाकर जैविक खेती करवाने का कार्य कर रही है। दूसरी तरफ उनके खेत को 600-600 वर्गफीट के आकार में बांटकर ग्राहकों को 2500 रूपए प्रति महीने की दर पर किराए पर दे देती है। ग्राहक को अपने मोबाईल पर एप के सहारे मनपंसद सब्जियां उगाने का मौका मिल जाता है और चुने हुए प्लॉट में वह सब्जी को उगाते है। सब्जियों के तैयार होने पर फार्मिजन का वाहन ग्राहकों के घर तक पहुंचा दिया जाता है। इससे लोगों को 100 प्रतिशत आर्गेनिक सब्जियां मिल रही हैं और किसानों को बेहतर आमदनी भी हो रही है। इससे तीन महीने पहले ही फर्मिजन ने जैविक फलों की खेती भी शुरू की थी। इसका सलाना टर्नओवर 8.40 करोड़ रूपए का है। किसानो में इस बात को लेकर जागरूकता है और अनेको फायदे है।  


आपको बता दे की गीतांजलि का जन्म हैदराबाद में हुआ था, गीतांजलि बताती है की  जब वह दो साल की थी तब उनके पिता का निधन हो गया था। उनकी मां ने उनकी और उनके बड़े भाई की परवरिश की है। गीतांजलि ने अपनी बीएससी कि पढाई वर्ष 2001 में उस्मानिया कॉलेज फॉर वुमिन हैदराबाद से की है।


यहां से लिया आइडिया


गीताजंलि का कहना है कि हम लोग जो भी सब्जियां खाते हैं उसमें अधिक मात्रा में कीटनाशक होता है जो की शरीर के लिए नुकसानदायक होते है। इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए फर्मिजन को शुरू करने का आइडिया दिमाग में आया है। उन्होंने कहा कि वह जहां रहती थीं उसके पास एक किसान भी रहते थे। बस फिर क्या था उन्हीं से कुछ जमीन किराए पर लेकर खुद सब्जियों को उगा लिया। उन्होंने कहा कि वह फसलों पर कीटनाशक का उपयोग नहीं करते है। उनके दो दोस्त शमिक चक्रवर्ती और सुधाकरन बालसुब्रमणियन ने उनकी मदद की। इस परिक्षण के बाद उन्होंने पाया कि 600 वर्गफुट से एक परिवार के जरूरत लायक सब्जियां पैदा हो सकती हैं। इन सभी बातो को ध्यान में रखते हुए हमने एक विशेष एप भी बनाया है। जून 2017 में पहला एप लॉन्च कर दिया गया है। इसके बाद हम बेंगलुरू, हैदाराबाद और सूरत में 47 एकड़ में काम कर रहे है। सितंबर 2017 में 34.50 लाख तक की फंडिंग भी मिली है।


किसानों और ग्राहकों को मनना बड़ी चुनौती


गीतांजलि बताते है कि कीटनाशकों के लागातर इस्तेमाल से फसलों को नुकसान हुआ है, कीटनाशक हमे बीमार भी करते है, और बिना सावधानी के इस्तेमाल से शरीर को बहोत ज्यादा नुकसान पंहुचा सकते है। हमारे ग्राहकों को बाजार में जिस तरह की भी गोभी मिलती है, उनको ब्लीच करके सफेद कर दिया जाता है। यह तरीका ठीक नहीं है क्योंकि यदि आप जैविक खाएं तो उसमें कीट नहीं होना चाहिए। यदि जैविक गोभी कीड़ों के लिए सेफ है तो यह आपके लिए भी सेफ है।


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