प्रारम्भ में मौसम में बदलाव के बाद अब देश के प्रमुख अन्न उत्पादक राज्यों में मानसून की सक्रियता से खरीफ सीजन में अच्छी खेती की संभावनाएं बढ़ती नजर आ रही है। जून माह के अंतिम सप्ताह तक मानसून मध्य, दक्षिण और और पूर्वी भारत पर छा जाएगा, इसके संकेत मिल रहे है। देश के इन राज्यों में यही वक्त खरीफ फसलों की बोआई का सबसे अच्छा समय होता है।
कृषि आयुक्त का कहना है कि खरीफ फसलों की बोआई के लिए किसानों की जरूरतों के हिसाब से पूरा बंदोबस्त पहले ही कर दिया गया है। प्रमुख रूप से दलहन बीज किसानों तक पहुंच भी गया है। इसके अतिरिक्त किसानो के हित और उनके विकास के लिए चलाई गई पीएम-किसान सम्मान निधि योजना की किस्तें किसानों के खाते में जमा करा दी गई हैं।
कृषि आयुक्त ने बताया कि आमतौर पर खरीफ सीजन की फसलों की बोआई 20 जून से 15 अगस्त के बीच होती है। लेकिन इस पर मानसून आने में एक सप्ताह की देरी भी अगर हो जाये तो इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। देश के वो राज्य जो की वर्षा पर आधारित खेती वाले राज्यों में तटीय हिस्से को छोड़कर बाकी कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य महाराष्ट्र व विदर्भ जैसे पाकेट में थोड़ी देरी से होने वाली बारिश का कोई असर नहीं पड़ता है।
कृषि आयुक्त ने इस बात की पुष्टि की कि भारतीय मौसम विभाग के साथ उनका लगातार समन्वय रहता है, जिससे पता चला है कि मानसून की बारिश व्यापक व समान रूप से हो रही है। और इसका फायदा खेती और किसानो को मिलेगा।
देश में लगाई जाने वाली दलहन फसलों में देखा जाये तो उड़द जहां 90 दिन में तैयार होती है, वहीं मूंग जैसी फसल केवल 70 से 75 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। लेकिन मानसून की पहली बारिश के साथ ही अरहर की खेती हो जाती है, जिसे पकने में पांच महीने तक का समय लग जाता है।
खरीफ सीजन की सबसे प्रमुख फसल धान है, जिसकी नर्सरी खेती में तैयार हो रही है। मानसून की बारिश होते ही रोपाई शुरू हो जाएगी।