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धार.मध्य प्रदेश के धार जिले के एक किसान रवि पटेल ने प्याज स्टोरेज की एक देसी कारगर तकनीक बनाई है। जिसे अपनाकर वे दो साल से प्याज को खेत से निकालते ही 2 से 3 रुपए किलो के भाव पर बेचने के बजाय बारिश बाद 30 से 35 रुपए किलाे में बेच कर लाभ कमा रहे हैं। तीसरे साल भी उन्होंने प्याज का इसी तकनीक से स्टोरेज किया है। कैसे काम करती है रवि की ये टेक्नोलॉजी...
- रवि बंद कमरे में लोहे की जाली को जमीन से 8 इंच ऊंचा बिछाते हैं। ऐसा करने के लिए कुछ-कुछ दूरी पर दो-दो ईंटें रखते हैं। उसके ऊपर प्याज का स्टोरेज करते हैं।
- लगभग 100 स्क्वेयर फीट की दूरी पर एक बिना पेंदे की कोठी रखते हैं। ड्रम के ऊपरी हिस्से में एग्जॉस्ट पंखे लगा देते हैं।
- पंखे की हवा जाली के नीचे से प्याजों के निचले हिस्से से उठ कर ऊपर तक आती है। इससे पूरे प्याजों में ठंडक रहती है।
- दोपहर में हवा गर्म होती है, इसलिए दिन की बजाय रातभर पंखे चलाते हैं।
- पटेल ने इस तकनीक से 1000 क्विंटल प्याज का भंडारण किया है। 2000 क्विंटल और खेतों में हैं, जो इसी तरह भंडारण करने वाले हैं। पिछले साल उन्होंने बारिश बाद 200 क्विंटल प्याज 35 रु. किलो के भाव बेचे थे।
- पटेल ने बताया इस तकनीक से 80 प्रतिशत तक सड़न नियंत्रित होती है। पहले जहां 10 प्याज खराब होते थे, तो अब 2 होते हैं।
- वजह यह है कि किसी प्याज में सड़न लगती थी, तो आसपास के प्याज खराब कर देता था। अब कोई प्याज सड़ता है तो पंखे की हवा से वहीं सूख जाता है।
क्या कहते हैं रवि पटेल
- पटेल बताते हैं प्याज की फसल अमूमन मार्च-अप्रैल में निकलती है। इस समय आवक अधिक होने से प्याज का मंडी भाव 2 से 3 रु. किलाे तक पहुंच जाता है। बारिश के बाद यही भाव 30 से 35 रु. किलो न्यूनतम होता है लेकिन प्याज गर्मी से जल्दी खराब होने के कारण इसका स्टोरेज किसान के लिए चुनौती होता है।
- किसान जहां भंडारण करते हैं, वहां पंखे-कूलर की व्यवस्था करते हैं ,लेकिन ढेर में प्याज एक-दूसरे की गर्मी से ही खराब हो जाते हैं। इसलिए मैंने ऐसी तकनीक लगाई है कि हर प्याज को जमीन से ही ठंडक मिले। कोई प्याज खराब भी हो तो ढेर में मौजूद आसपास के प्याज खराब नहीं हो।
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