पिछले साल खरीफ सीजन किसानों के लिए काफी परेशानी भरा रहा था। इस बार भारी बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है। इस बार देश में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन की उम्मीद थी। लेकिन बारिश ने किसानों का खेल बिगाड़ दिया है। इस साल कई राज्यों में रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में जो बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि है, इसके कारण पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 50 फीसदी तक गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है। वहीं, पंजाब के कई जिलों में फसल नुकसान का आंकड़ा 70 फीसदी के पार पहुंच गया है। ऐसे में इस बार गेहूं के उत्पादन में कमी आने की संभावना है।
किसान कर रहे हैं सरकार से मुआवजे की मांग
बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा नुकसान हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में गेहूं की फसल को हुआ है। इन राज्यों में तेज हवा चलने से लाखों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल गिरकर खेतों में ही सड़ गई। वहीं, गेहूं की फसल को भी काफी नुकसान हुआ है। किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं
नुकसान का आकलन कृषि मंत्रालय करेगा
बता दें कि उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन पंजाब और हरियाणा में होता है। अगर इन दोनों राज्यों में 50 फीसदी तक गेहूं खराब हुआ तो राष्ट्रीय स्तर पर भी गेहूं के उत्पादन में कमी आ सकती है। राज्यों में बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें गंभीर हो गई हैं। कृषि मंत्रालय राज्यों में फसलों को हुए नुकसान का सर्वे करा सकता है। सर्वे का यह काम राज्य सरकारों के सहयोग से पूरा किया जाएगा। कृषि मंत्रालय ने आशंका जताई है कि इस साल बारिश और ओलावृष्टि से 10 लाख टन गेहूं का उत्पादन कम हो सकता है। केंद्र ने सीजन 2022-23 के लिए 112.18 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है। लेकिन नुकसान को देखते हुए लक्ष्य का पीछा करना मुश्किल नजर आ रहा है।
मुआवजा रिपोर्ट आने के बाद ही दिया जाएगा
राज्य सरकार ने गिरदावरी को नुकसान का आकलन करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार के सरकारी अधिकारी हर गांव में फसल नुकसान का सर्वे करेंगे। सरकार का कहना है कि गिरदावरी रिपोर्ट आने के बाद किसानों को फसल नुकसान के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।