इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च (IIHR), बेंगलुरु ने टमाटर की 2 नई हाइब्रिड किस्मों को विकसित कर लिया हैं। ए.टी सदाशिव जो की IIHR में शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व किया उनके मुताबिक , ये पहला अवसर है जब प्रसंस्करण उद्योग के लिए टमाटर की हाइब्रिड किस्म विकसित की गई है।
उच्च उपज क्षमता
ए.टी सदाशिव के मुताबिक, इस किस्म से 50 टन प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार की जा सकती है। अगर बात करे ड्रिप सिंचाई की और इस विधि से सिंचाई की जाये तो इससे 100 टन प्रति हेक्टेयर तक फसल मिलने की संभावना है। मौजूदा हाइब्रिड टमाटर की उपज 40 टन प्रति हेक्टेयर तक ही हो पाती है। उन्होंने ये भी बताया कि ‘अधिक पैदावार से उत्पादकों को खेती की लागत कम होगी। इसके अलावा नई हाइब्रिड टमाटर, पत्ती के कर्ल वायरस, बैक्टीरियल विल्ट और अर्ली ब्लाइट जैसी बीमारियों के लिए प्रतिरोधी हैं जो किसानों को फसल पर दवाई स्प्रे करने की संख्या को कम करने में मदद करती हैं।
नई हाइब्रिड किस्म के अन्य लाभ
IIHR के पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख एचएस ओबेरॉय ने बताया कि, मौजूदा लाइनों से विकसित ये नई किस्में मैकेनाइज्ड कटाई के लिए भी उपयुक्त हैं उन्होंने ये भी कहा की दिसंबर 2019 तक वाणिज्यिक खेती के लिए टमाटर की नई हाइब्रिड किस्म को जारी करने की उम्मीद कर रहे हैं।
आपको बता दे कि भारत में टमाटर उत्पादन 2018-19 में 19.39 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले सीजन के मुकाबले में उत्पादित की गई 19.759 मिलियन टन से कम है।