हाइड्रोजेल किसानों के भाग्य को बदल सकता है, इसकी मदद से वे कम पानी में भी खेती कर सकते हैं

हाइड्रोजेल किसानों के भाग्य को बदल सकता है, इसकी मदद से वे कम पानी में भी खेती कर सकते हैं
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Kisaan Helpline

Agriculture May 12, 2020

देश में जिस तरह से जलसंकट बढ़ रहा है, कई राज्यों में तो सूखे ने खेती को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। अगर ऐसा ही रहा तो कुछ साल में कहीं खेती नहीं हो पाएगी। ऐसे में हाइड्रोजल जेल की मदद से कम पानी में भी खेती कर सकते हैं। भारत में जितनी खेती होती है, उनमें से 60 प्रतिशत खेती ऐसे क्षेत्र में की जाती है जहां पानी की बेहद किल्लत है। इनमें से 30 प्रतिशत जगहों पर पर्याप्त बारिश नहीं होती है।

भारत में खेती मुख्य रूप से बारिश पर निर्भर है। देश में 60 प्रतिशत खेती बारिश के पानी पर निर्भर है और इन क्षेत्रों में वार्षिक वर्षा 1150 मिलीमीटर से भी कम होती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा के वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजल विकसित किया है, जिसकी मदद से बारिश के पानी को स्टोर कर रखा जा सकता है और इसका इस्तेमाल उस वक्त किया जा सकता है जब फसलों को पानी की जरूरत पड़ेगी।

हाइड्रोजेल विकसित करने में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेचूरल रेजिन एंड गम ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। आईआईएनआरजी, भारतीय प्राकृतिक रेजिन और गम्स संस्थान के वैज्ञानिकों ने ग्वार फली से हाइड्रोजेल विकसित किया है, जो पूरी तरह से प्राकृतिक है। हाइड्रोजेल पॉलिमर है जिसमें पानी को सोख लेने की क्षमता होती है और यह पानी में घुलता भी नहीं है। हाइड्रोजेल बायोडिग्रेडेबल भी होता है, जिस कारण इससे प्रदूषण का खतरा भी नहीं रहता है।

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