गुलाब की वैज्ञानिक तरीके से उन्नत खेती, उत्पादन एवं व्यापारिक लाभ

गुलाब की वैज्ञानिक तरीके से उन्नत खेती, उत्पादन एवं व्यापारिक लाभ
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Kisaan Helpline

Agriculture Apr 05, 2021

जैसा की आप जानते है गुलाब प्रकृति-प्रदत्त एक मनमोहक और खूबसूरत फूल है। इसकी आकर्षक बनावट, सुन्दर आकार, लुभावना रंग की वजह से लोग इसे अधिक पसंद करते है। लाल गुलाब को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।
वैज्ञानिक विधि से गुलाब की खेती करके लगभग पूरे साल फूल लिया जा सकता है। सामान्यतः यह सर्दी का पुष्प है। इस मौसम में गुलाब के फूल की छटा तो देखते ही बनती है।
इसके एक फूल में 5 पंखुड़ी से लेकर कई पंखुड़ियों तक होती है। यह अनेक किस्में तथा विभिन्न रंगों में उपलब्ध है, जिनकी मांग बाज़ारों में हर दिन बढ़ती जा रही है।

किस्म का चयन
उत्तम किस्म का चयन उसे रोपने वाले स्थान के अनुरूप करें। हर फसल की अलग-अलग जगहों के लिए अलग-अलग किस्म होती है। गुलाब की भी कई अलग-अलग किस्में हैं, जिनका चयन खेत के अनुसार सही से करना चाहिए।

पौधे को तैयार करने का समय और तरीका
तरीका :- गुलाब की खेती टी-बडिंग विधि से की जाती है। इस विधि में जंगली गुलाब के कलम जून या जुलाई में लगाई जाती है।
दुरी :- कलम लग जाने के बाद इन कलमों को क्यारी में 15 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है। इसके बाद निकलने वाली शाखाओं को लगती हटा दिया जाता है।
इसके बाद इनमें अच्छी किस्म के गुलाब की टहनी लगाकर उसे पोलीथिन से ऊपर तक कसकर बांध दिया जाता है।
समय :- पॉलीथिन में उर्वरक मिली मिट्टी भरी रहती है इसके कुछ समय बाद इनमें टहनी निकल आती है। अगस्त महीने तक ये पौधे रोपने के लिए तैयार हो जाते हैं।

भूमि में पौधों की रोपाई का तरीका
गुलाब के पौधे को भूमि से लगभग 15 सेंटीमीटर ऊपर लगाये। पौधे की रुपाई करते टाइम पॉलीथिन को काटकर हटा दें पॉलीथिन को हटाते समय पॉलीथिन में भरी मिट्टी नहीं टूटनी चाहिए। इसके बाद खेत की मिट्टी को चारों तरफ से अच्छे से दबा दें। रुपाई के तुरंत बाद ही उसकी सिंचाई कर दें।

अनुकूल जलवायु
गुलाब की खेती के लिए ठंड व शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है। सर्दीयों के दिनों में उत्तर और दक्षिण भारत के मैदानी तथा पहाड़ी क्षेत्रों में गुलाब की खेती की जाती है।
इसके लिए दिन का तापमान करीब 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट और रात का तापमान 12 से 14 डिग्री सेंटीग्रेट उत्तम रहता है।

भूमि का चयन
इसकी खेती लगभग हर प्रकार की मिट्टी पर की जाती है। परंतु ह्यूमस से परिपूर्ण दोमट, बलुआर दोमट या मटियार दोमट उपयुक्त मानी जाती है।
जिसका पी. एच. मान 5.5 से 6.5 हो। पौधों के विकास के लिए अच्छी जल निकाश वाली जगह उत्तम है। छायादार जगह में पौधों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है।

खेत की तैयारी
पौधे रोपण  पूर्व खेत की दो -तीन अच्छी गहरी जुताई करना चाहिए , अंतिम जुताई में पाटा लगाकर खेत को भुरभुरा, समतल और अच्छे जलनिकासी के साथ खरपतवार मुक्त तैयार करना चाहिए।

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
गुलाब की अच्छी उपज के लिए वर्मी कम्पोस्ट या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद खेत तैयार करते समय मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए। रासायनिक उर्वरक मिट्टी परिक्षण  के आधार पर ही प्रयोग करें।

खरपतवार नियंत्रण
गुलाब की खेती में खरपतवार की रोकथाम के लिए निराई गुड़ाई करना अति आवश्यक होता हैं। निराई गुड़ाई करने से जड़ों को हवा की उचित मात्रा मिल पाती है, जिससे पौधे का विकास और भी अच्छे से होता है। और आवश्यकता अनुसार निराई गुड़ाई करें।

सिंचाई
पौधरोपण के तुरंत बाद सिंचाई करें, नई कलम में नमी देने के लिए उसकी लगातार सिंचाई करते रहे। सर्दियों में साप्ताहिक और गर्मी के दिनों में 4-5 दिनों के अंतराल में सिंचाई करते रहें।

फूलों की तोड़ाई
जब फूल की एक या दो पंखुडियां खिल जाए तो फूल को काटकर पौधे से अलग कर दें। इसके लिए तेज़ धार वाले चाक़ू या ब्लेड का इस्तेमाल कर सकते हैं। फूल को काटने के तुरंत बाद पानी से भरे बर्तन में रखना अनिवार्य है।

भंडारण
इसके बाद उसे कोल्ड स्टोरेज में रख दें, जहाँ का तापमान करीब 2 से 10 डिग्री तक होना चाहिए।इसके बाद फूलों की ग्रेडिंग कर उसे बाज़ार में भेजें।

उत्पादन
गुलाब की खेती से किसानों को काफी मुनाफ़ा होता है। इसकी खेती करीब चार महीने में फूल देना शुरू कर देती है। एक एकड़ जमीन पर लगभग 30 से 40 किलो फूल मिल जाते हैं।

लाभ
एक साल में एक एकड़ से लगभग 200 से 300 क्विंटल फूल प्राप्त हो सकते हैं। जिनकी सालाना कमाई लगभग 15 लाख तक पहुँच सकती है।

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