राजकोट। गुजरात के सौराष्ट्र में बीते बुधवार को आई भीषण बाढ़ का पानी जैसे-जैसे उतर रहा है, वैसे-वैसे तबाही का मंजर स्पष्ट रूप से नजर आने लगा है। बारिश के चलते जहां 70 जनों की मौत हो गई। वहीं, आठ हजार से ज्यादा पशुओं के मौत की संभावना जताई जा रही है। अमरेली जिले के अनेक गांव पूरी तरह से गायब हो गए हैं। अधिकतर गांवों में पशुओं के शव दिखाई दे रहा है।
भारी बारिश के कारण आम लोगों पर तो आफत आई लेकिन साथ-साथ यह मुसीबत गिर के एशियाई शेरों के अलावा अन्य पशुओं पर भी पड़ी। बाढ़ जैसे हालात के कारण पिछले दो दिनों में अमरेली व भावनगर जिले में अब तक 10 शेरों की मौत हो गई है। वहीं, शेत्रुंजी नदी में बाढ़ आने के कारण करीब 40 शेर अभी भी लापता बताए जाते हैं। उधर करीब डेढ़ सौ नील गाय के शव भी पाए गए। इसके अलावा चीतल, साही व जंगली सूअर जैसे वन्य प्राणियों के भी हताहत होने का पता चला है।
शेरों की इस स्थिति पर राज्य सरकार ने काफी गंभीरता बरतते हुए इस मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में सर्वेक्षण के लिए वन विभाग की 100 टीमों को काम पर लगाया है। राज्य सरकार की ओर से पशुओं की मौत के लिए सहायता भी दी जाएगी।
गौरतलब है कि अमरेली जिले में इतनी भारी बारिश 90 साल बाद हुई है। जिले के बगसरासा में 28 इंच, धारी तहसील में 20 इंच और वाडिया में 18 इंच बरसात दर्ज की गई थी। इससे जिले की सारी नदियां उफान पर आ गई थीं। ग्रामीणों तक मदद पहुंच पाती, तब तक बाढ़ का पानी तबाही मचा चुका था। हालांकि, पांच दिनों बाद भी कई गांवों में मदद नहीं पहुंच सकी है। इससे लोगों में भारी रोष भी नजर आ रहा है।