राजकोट। बीते बुधवार को आई भीषण बाढ़ ने गुजरात के सौराष्ट्र में जो तबाही मचाई, अब उसका मंजर धीरे-धीरे स्पष्ट नजर आने लगा है। एशियाटिक लायंस के लिए प्रख्यात अमरेली जिले में सबसे ज्यादा तबाही हुई। यहां के कई गांव पूरी तरह से साफ हो चुके हैं। अब जगह-जगह सिर्फ पशुओं और इंसानों के शव नजर आ रहे हैं। मृतकों का आंकड़ा 70 के पार जा पहुंचा है। वहीं, 9 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत का अनुमान है।
बाढ़ से अमरेली जिले का लगभग 6 हजार की आबादी वाला बाबापुर गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां 24 घंटों में 24 इंच पानी दर्ज किया गया। आसपास की स्थानीय नदियों में बाढ़ आ जाने के कारण गांव के मकान 11 फुट तक डूब चुके थे। हालांकि, बाढ़ का पानी बढ़ने से पहले लोग सुरक्षित स्थलों की ओर जैसे-तैसे कूच कर गए थे। इससे बड़ी जनहानि टल गई, लेकिन गांव के नवोदय विद्यालय के प्रिंसिपल की पत्नी, बेटा और बेटी की बाढ़ में बहकर मौत हो गई। गांव में 12 लोगों की मौत की सूचना है। वहीं, गांव के हजारों पशु भी बाढ़ की भेंट चढ़ गए। गांव के लगभग 80 प्रतिशत मकान धराशायी हो चुके हैं। बाबापुर के अलावा पाणिया और खारी गांव की हालत भी दयनीय है।
भारी बारिश के कारण आम लोगों पर तो आफत आई लेकिन साथ-साथ यह मुसीबत गिर के एशियाई शेरों के अलावा अन्य पशुओं पर भी पड़ी। बाढ़ जैसे हालात के कारण पिछले दो दिनों में अमरेली व भावनगर जिले में अब तक 12 शेरों की मौत हो गई है। वहीं, शेत्रुंजी नदी में बाढ़ आने के कारण करीब 40 शेर अभी भी लापता बताए जाते हैं। उधर करीब डेढ़ सौ नील गाय के शव भी पाए गए। इसके अलावा चीतल, साही व जंगली सुअर जैसे वन्य प्राणियों के भी हताहत होने का पता चला है।