दीमक एक कटिबंधों में सबसे हानिकारक कीट हैं, देखा जाये तो दीमक कृषि के क्षेत्र में काफी समस्याएं, पैदा करता है | दीमक की कुल 2500 प्रजातियाँ होती हैं। दीमक अपने घोंसलों भूमिगत बनाते है, जिस से की ये फसल को और देखा जाये तो घर के फर्नीचर को भी बहुत नुकसान पंहुचा सकते है। इसके रोकथाम के लिए कुछ उपाय निम्न हैं |
जैविक घोल
आवश्यक सामग्री
1- 3-5 किलो करंज के पत्ते
2- 3 किलो नीम के पत्ते
3- 1 किलो अरंडी का तेल
4- 10 लीटर गौ मूत्र
5- 2 किलो सफ़ेद धतूरे के पत्ते
6- 50 ग्राम सर्फ़
बनाने की विधि
करंज के पत्ते ,नीम के पत्ते ,धतूरे के पत्ते 10 लीटर गौमूत्र में डालकर उबालें यह तब तक उबालें जब गौ मूत्र 5 लीटर रह जाये तो ठंडा करके छान कर इस में 1 ली तेल अरंडी का मिला लें 50 ग्राम सर्फ़ मिला कर रख लें |
यह घोल 6 महीनें तक प्रयोग कर सकते हैं |
उपयोग करनें की विधि
16 लीटर पानी में 250 मिली घोल मिला कर तनें और जड़ों में छिड़काव करें |
3- अन्य उपाय
पपीते के साथ लाल ताड़ का तेल मिलाकर उसका प्रयोग जैव नियंत्रण का एक भारतीय तरीका है| ये मिश्रण चींटियों को आकर्षित करता है और दीमक को दूर करता है|
यदि खेत में अधिक दीमक हो तो फसल की बुवाई के पहले 2 लीटर गाय के मठ्ठे में 12 से 15 ग्राम हींग अच्छी तरह मिला कर खेत में छिरक दें उसके 2 घंटे के बाद खेत में बुवाई करें |
1. नमक का प्रयोग भी दीमक को रोकता हैं |
2. जिस खेत में लहसुन की खेती करने से दीमक की समस्या ख़त्म हो सकती है |
3. बुबाई कर ने से पहले बीज को कैरोसीन में शोधित करनें से दीमक का असर कम होता है |
ध्यान रखने योग्य बात ये भी है की सुपारी के आकार की हींग एक कपड़े में लपेटकर तथा पत्थर में बांधकर खेत की ओर बहने वाली पानी की नाली में रख दें। उससे दीमक तथा उगरा रोग नष्ट हो जावेगा।